उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए नई ट्रांसफर नीति को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को लोकभवन में हुई कैबिनेट बैठक में इस नीति को हरी झंडी दिखाई गई। बैठक में कुल 11 महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगी, जिसमें तबादला नीति प्रमुख रहा।
कैबिनेट के फैसले के बाद वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि ट्रांसफर की प्रक्रिया 15 मई से शुरू होकर 15 जून तक पूरी की जाएगी। इस बार तबादला नीति में कुछ अहम बदलाव किए गए हैं, जबकि नियम पिछले साल जैसे ही रहेंगे। बैठक में एक और बड़ा निर्णय लेते हुए राज्य कर विभाग को "सेवा कर विभाग" घोषित कर दिया गया है। इस फैसले से विभागीय कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ने और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
पिक एंड चूज की व्यवस्था खत्म
नई तबादला नीति के तहत “पिक एंड चूज” की व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। अब तबादले तय मानकों के आधार पर होंगे, जिससे पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सकेगी। जिन कर्मचारियों ने किसी जिले में 3 साल और किसी मंडल में 7 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, उन्हें ट्रांसफर के लिए पात्र माना जाएगा।
समूहवार तबादलों की सीमा तय
नई नीति के अनुसार:
समूह ‘क’ और ‘ख’ के 20% अधिकारियों का तबादला हो सकता है।
समूह ‘ग’ और ‘घ’ के 10% कर्मचारियों का तबादला संबंधित विभागाध्यक्ष कर सकेंगे।
इससे अधिक संख्या में ट्रांसफर के लिए संबंधित मंत्री की अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
8 लाख से अधिक कर्मचारी होंगे प्रभावित
उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन फिलहाल 8 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। नई नीति के लागू होने से बड़ी संख्या में कर्मचारियों के तबादले संभावित हैं। सरकार का उद्देश्य है कि इस प्रक्रिया को समयबद्ध और सुचारु रूप से संपन्न किया जाए। राज्य सरकार का यह कदम न केवल प्रशासनिक संतुलन बनाने में सहायक होगा, बल्कि कर्मचारियों की कार्यक्षमता को भी बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
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