1. रक्षा सहयोग से ऊर्जा साझेदारी की ओर झुकाव
पहले भारत-रूस संबंध मुख्य रूप से रक्षा क्षेत्र पर आधारित थे। भारत के सैन्य उपकरणों का लगभग 62% हिस्सा रूसी मूल का रहा है। लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। रक्षा सहयोग की भूमिका कम हो रही है और ऊर्जा, विशेषकर कच्चे तेल का व्यापार, इन संबंधों की नई रीढ़ बन गया है। जहां 2015 में भारत का रूस से कुल आयात में तेल का हिस्सा मात्र 2.5% था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 83% हो गया। यह दिखाता है कि अब भारत और रूस के बीच आर्थिक संबंध ऊर्जा आधारित हो गए हैं, न कि सिर्फ हथियारों तक सीमित।
2. व्यापार में 12 गुना उछाल, लेकिन असंतुलन बरकरार
भारत और रूस के बीच व्यापार 2015 में जहां 6.1 अरब डॉलर था, वहीं 2024 तक यह 72 अरब डॉलर के स्तर को पार कर गया — यानी लगभग 12 गुना वृद्धि। हालांकि, यह वृद्धि संतुलित नहीं रही। भारत का रूस को निर्यात महज तीन गुना बढ़ा (4.8 अरब डॉलर), जबकि रूस से आयात पंद्रह गुना (67.2 अरब डॉलर) बढ़ा। इससे व्यापार घाटा भी व्यापक हो गया है। इस व्यापार विस्फोट का सबसे बड़ा कारण भारत द्वारा रूस से बड़ी मात्रा में कच्चे तेल की खरीद है।
3. तेल का हिस्सा 500 गुना बढ़ा
भारत द्वारा रूस से आयात किया गया तेल 2015 की तुलना में 2024 में 500 गुना बढ़ गया है। 2015 में जो तेल आयात नगण्य था, वह 2024 में 55 अरब डॉलर तक पहुँच गया है। यह बदलाव वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों, जैसे पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों और भारत की ऊर्जा जरूरतों के कारण हुआ। रूस से सस्ता तेल पाकर भारत ने अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने की रणनीति को मजबूती दी।
4. व्यापार संरचना में बदलाव
भारत से रूस को होने वाला निर्यात भी अब बदल गया है। अब पूंजीगत वस्तुएं (जैसे मशीनरी, औद्योगिक उपकरण) भारत के कुल निर्यात का एक तिहाई हिस्सा बनाती हैं, जबकि 2015 में यह हिस्सा सिर्फ 17.5% था। वहीं, उपभोक्ता वस्तुएं, कृषि उत्पाद और कच्चा माल जैसे पारंपरिक क्षेत्रों में भारत का निर्यात घटा है। इसके उलट, रूस से भारत को पूंजीगत वस्तुओं का आयात बहुत कम हो गया है – 2015 में यह 2.3% था, जो अब घटकर मात्र 0.3% रह गया है।
5. रूसी निवेश बढ़ा, लेकिन प्रभाव घटा
2015 से अब तक भारत में रूस का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 30% बढ़कर 2024 में 1.3 अरब डॉलर हो गया है। हालांकि यह वृद्धि प्रतीत होती है, लेकिन वैश्विक स्तर पर तुलना करने पर रूस का स्थान FDI स्रोतों में नीचे खिसक गया है। 2015 में रूस भारत का 19वां सबसे बड़ा निवेशक था, जबकि 2024 में यह गिरकर 30वें स्थान पर आ गया है। यानी निवेश की मात्रा बढ़ी है, पर वैश्विक प्रतिस्पर्धा के चलते उसका महत्व घटा है।
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