यूपी पंचायत चुनाव: आरक्षण प्रक्रिया की तैयारियां शुरू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सरकारी मशीनरी सक्रिय हो चुकी है। पंचायती राज विभाग ने इस दिशा में पहला बड़ा कदम उठाते हुए ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी कर ली है। पुनर्गठन के बाद अब राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या 504 घटकर 57,695 रह गई है। यह बदलाव न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आगामी आरक्षण प्रक्रिया और चुनावी समीकरणों को भी गहराई से प्रभावित करेगा।

आरक्षण प्रक्रिया की उलटी गिनती शुरू

पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य पदों पर आरक्षण तय किया जाना है। सूत्रों के अनुसार, यह प्रक्रिया सितंबर या अक्टूबर 2025 में शुरू की जा सकती है। हालांकि अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संबंधित विभागीय अधिकारी आरक्षण के स्वरूप और मानकों पर मंथन शुरू कर चुके हैं।

आरक्षण निर्धारण के लिए वर्ष 2011 की जनगणना को आधार बनाया जाएगा और पिछली बार की तरह ही पुरानी नियमावली लागू की जाएगी। यह तय कर लिया गया है कि ओबीसी वर्ग के लिए 27 प्रतिशत, अनुसूचित जातियों (SC) के लिए 20.69 प्रतिशत तथा अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए 0.56 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेंगी। प्रत्येक आरक्षित वर्ग में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटों की आरक्षण व्यवस्था भी लागू होगी, जिससे महिला सशक्तिकरण को मजबूती मिलेगी।

पिछड़ा वर्ग आयोग की भूमिका अहम

ओबीसी आरक्षण को अंतिम रूप देने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन जरूरी है, लेकिन यह प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। आयोग के गठन में समय लगने की संभावना है और गठन के बाद भी आयोग को आरक्षण निर्धारण के लिए करीब तीन महीने का समय लग सकता है। ऐसे में यह लगभग तय है कि आरक्षण प्रक्रिया अक्टूबर तक ही शुरू हो सकेगी।

बदलेगा आरक्षित सीटों का भूगोल

2021 में हुए पंचायत चुनावों की तुलना में इस बार आरक्षित सीटों का भूगोल काफी हद तक बदल जाएगा। पुनर्गठित ग्राम पंचायतों और जनसंख्या के नए आंकड़ों के चलते कई क्षेत्रों में सीटों का आरक्षण बदलेगा, जिससे राजनीतिक दलों और स्थानीय नेताओं की रणनीतियों में भी बदलाव आएगा। आरक्षण के बदलते स्वरूप के चलते कई वर्तमान पदाधिकारी अपनी सीटें खो सकते हैं या उन्हें दूसरे वार्डों से चुनाव लड़ने की नौबत आ सकती है।

सुझाव और आपत्तियों की प्रक्रिया जल्द

वार्ड निर्धारण की प्रक्रिया शीघ्र शुरू होने वाली है। इसके तहत स्थानीय लोगों से आपत्तियां और सुझाव भी मांगे जाएंगे, जिससे आरक्षण प्रक्रिया पारदर्शी और लोकतांत्रिक ढंग से पूरी की जा सके। यह चरण बेहद संवेदनशील होता है क्योंकि यहीं से भविष्य की चुनावी तैयारियों की नींव रखी जाती है।

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