क्या है यह योजना?
इस योजना के तहत निजी क्षेत्र में छोटी नर्सरी स्थापित करने वालों को सब्सिडी दी जाएगी। कुल अनुमानित लागत 20 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर मानी गई है, जिसमें से 50 प्रतिशत यानी 10 लाख रुपये की राशि सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दी जाएगी। यह राशि दो किस्तों में और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाएगी।
नर्सरी लगाने के लिए क्या शर्तें हैं?
1 .जमीन की आवश्यकता: नर्सरी लगाने के लिए कम से कम 0.4 हेक्टेयर से 1 हेक्टेयर तक की जमीन होनी चाहिए। जमीन ग्रामीण सड़क से सटी हुई हो ताकि परिवहन में सुविधा रहे।
2 .जलजमाव नहीं हो: चयनित भूमि पर जलजमाव नहीं होना चाहिए। यदि ज़रूरत हो तो मिट्टी भराई का कार्य लाभार्थी को स्वयं करना होगा।
3 .भूमि के कागजात: भूमि का स्वामित्व प्रमाणपत्र, अद्यतन जमीन रसीद या वंशावली के आधार पर दस्तावेज होना चाहिए जो यह सिद्ध करे कि भूमि लाभार्थी की है।
4 .पानी और बिजली की व्यवस्था: नर्सरी के लिए चयनित भूमि पर टयूबवेल, पंपिंग सेट, और बिजली कनेक्शन जैसी आधारभूत सुविधाएं लाभार्थी के पास खुद की होनी चाहिए।
कौन ले सकता है इस योजना का लाभ?
इसके लिए किसान, ग्रामीण युवा, बागवानी में रुचि रखने वाले उद्यमी, पौध उत्पादन में व्यवसाय शुरू करने के इच्छुक लोग आवेदन कर सकते हैं।
योजना का उद्देश्य क्या है?
इस योजना का मुख्य उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण पौध उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है। साथ ही, यह रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा, खासकर ग्रामीण युवाओं के लिए।
योजना के लिए आवेदन कैसे करें?
सबसे पहले लाभार्थी को डीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य है। विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करनी होगी, जिसमें नर्सरी की लागत, संरचना, आवश्यक संसाधन, संभावित लाभ आदि की जानकारी दी गई हो।
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