512 ग्राम पंचायतों का विलय, केवल 11 का सृजन
प्रदेश में कुल 512 ग्राम पंचायतों को समाप्त कर दिया गया है, जबकि केवल 11 नई ग्राम पंचायतों का गठन हुआ है। इसका सीधा प्रभाव यह होगा कि वर्ष 2021 में हुए चुनावों में जहाँ 58,195 ग्राम प्रधानों का चुनाव हुआ था, वहीं 2026 के पंचायत चुनाव में यह संख्या घटकर 57,694 हो जाएगी। यानी 501 ग्राम प्रधानों की सीटें समाप्त हो जाएंगी।
शहरीकरण बना पंचायतों के विलय का मुख्य कारण
शहरी विस्तार इस परिवर्तन का मुख्य कारण है। देवरिया जनपद में सर्वाधिक 64 ग्राम पंचायतें शहरी सीमा में समाहित की गईं। इसके बाद आजमगढ़ में 49 और प्रतापगढ़ में 46 पंचायतें समाप्त की गईं। यह दर्शाता है कि किस प्रकार गाँव अब शहरों में परिवर्तित हो रहे हैं और पंचायती शासन की सीमाएं सिमट रही हैं।
अन्य जिलों में भी यह प्रक्रिया तेज रही — मऊ में 26, कुशीनगर में 23, गोंडा और गोरखपुर में 22-22, फतेहपुर में 19 और गाजियाबाद में भी 19 ग्राम पंचायतें समाप्त कर दी गईं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि ग्राम और शहर के बीच की रेखा अब पहले जैसी स्पष्ट नहीं रही।
कुछ जिलों में नई पंचायतों और राजस्व ग्रामों का गठन भी
जहाँ एक ओर कई पंचायतें खत्म हुईं, वहीं दूसरी ओर कुछ जिलों में न्यायालयों के निर्देश या स्थानीय प्रशासन की आवश्यकता के अनुसार नई पंचायतों और राजस्व ग्रामों का गठन भी किया गया। बस्ती में कोर्ट के आदेश पर दो नई ग्राम पंचायतों का गठन हुआ है। वहीं आजमगढ़, बाराबंकी, फतेहपुर, गोरखपुर, हरदोई, प्रतापगढ़ और उन्नाव में एक-एक नई ग्राम पंचायत बनाई गई है। बहराइच में दो नए राजस्व ग्राम भी बनाए गए हैं।
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