चीन से टक्कर के लिए भारत की समुद्री तैयारी तेज

नई दिल्ली। भारत ने समुद्री मोर्चे पर अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। भारतीय नौसेना 2.4 लाख करोड़ रुपये की लागत से 26 नए युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल करने की योजना पर काम कर रही है। खास बात यह है कि ये सभी प्लेटफॉर्म देश में ही बनाए जाएंगे, जिससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी बल मिलेगा।

2035 तक 175 जहाजों का लक्ष्य

वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास 61 युद्धपोत और पनडुब्बियां हैं। इसके अलावा 17 युद्धपोत और 9 पनडुब्बियां मंजूरी की प्रक्रिया में हैं। इन नए जहाजों के जुड़ने से नौसेना का लक्ष्य 2035 तक कुल 175 जहाजों का बेड़ा तैयार करने का है। हालांकि यह संख्या चीन की 355 युद्धपोतों वाली नौसेना से कम है, लेकिन तकनीकी रूप से आधुनिक और बहु-भूमिका वाले जहाज भारत की समुद्री ताकत को काफी हद तक संतुलित कर सकते हैं।

नौसेना की योजनाओं में कई अहम परियोजनाएं शामिल हैं

1 .मल्टी पर्पस वेसल्स: 2 नए जहाज, जो विविध ऑपरेशन में उपयोगी होंगे।

2 .प्रोजेक्ट 17B: 70,000 करोड़ रुपये की लागत से 7 नेक्स्ट जनरेशन फ्रिगेट्स का निर्माण।

3 .प्रोजेक्ट 75-I: 6 एडवांस्ड पनडुब्बियों का निर्माण, जिसकी लागत लगभग 70,000 करोड़ रुपये होगी।

4 .प्रोजेक्ट 75 (ऐड-ऑन): 3 स्कॉर्पीन क्लास पनडुब्बियां – 36,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत।

5 .नेक्स्ट जनरेशन कॉर्वेट्स (NGC): 8 नए युद्धपोतों के लिए भी 36,000 करोड़ रुपये की परियोजना पाइपलाइन में है।

पुराने जहाजों की जगह नई तकनीक

नौसेना के कई जहाज, अब उम्रदराज हो चुके हैं और उन्हें या तो ओवरहॉलिंग की जरूरत है या फिर बदलने की। पुराने जहाजों को हटाकर अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस नए प्लेटफॉर्म को लाने की प्रक्रिया तेज की जा रही है, जिससे न सिर्फ परिचालन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि समुद्री युद्धक रणनीतियों में भी आधुनिकता आएगी।

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