वर्तमान स्थिति: बेहद सीमित बीमा सुरक्षा
सरकारी कर्मचारियों को वर्तमान में जो बीमा कवर मिलता है, वह Central Government Employees Group Insurance Scheme (CGEGIS) के तहत आता है। यह स्कीम 1 जनवरी 1982 से लागू है। हालांकि, इसमें आखिरी संशोधन 1990 में हुआ था और तब से लेकर अब तक महंगाई, जीवनशैली और जोखिमों में भारी बदलाव आ चुका है, लेकिन बीमा राशि जस की तस बनी हुई है।
मौजूदा बीमा कवर (1990 से लागू): ग्रुप A: ₹1,20,000 | मासिक सब्सक्रिप्शन: ₹120, ग्रुप B: ₹60,000 | मासिक सब्सक्रिप्शन: ₹60, ग्रुप C: ₹30,000 | मासिक सब्सक्रिप्शन: ₹30 हैं। ये आंकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं कि सरकारी कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान किसी अनहोनी की स्थिति में मिलने वाली बीमा राशि ना के बराबर है।
संभावित बदलाव: बढ़ेगा बीमा, बदलेगा ढांचा
सूत्रों के अनुसार, 8वें वेतन आयोग में सरकार CGEGIS को पूरी तरह से री-डिजाइन करने पर विचार कर रही है। इस बार बीमा राशि को महज प्रतीकात्मक ना रखते हुए वास्तविक जरूरतों और जोखिमों को ध्यान में रखकर एक ठोस बीमा प्लान लाने की योजना बनाई जा रही है।
संभावित नई बीमा राशि: ₹10 लाख से ₹15 लाख तक बीमा कवर, सब्सक्रिप्शन दर: ₹500 या उससे अधिक प्रति माह (टर्म इंश्योरेंस मॉडल के अनुसार), इस बदलाव से यदि किसी कर्मचारी की सरकारी सेवा के दौरान मृत्यु होती है, तो उनके परिवार को आर्थिक सुरक्षा का ठोस सहारा मिलेगा।
कर्मचारी संगठनों की मांगें तेज
AISGEF सहित अन्य कर्मचारी यूनियनों ने इसे अपना मुख्य एजेंडा बना लिया है। उनका कहना है कि ड्यूटी पर शहीद होने वाले किसी भी सरकारी कर्मचारी के परिवार को कम से कम ₹15 लाख का बीमा मिलना चाहिए। यह न सिर्फ आर्थिक राहत देगा, बल्कि कर्मचारियों में सुरक्षा का भरोसा भी बढ़ाएगा।
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