उन्नत तकनीक और बेहतर क्षमताएँ
तेजस Mk-2, अपने पूर्ववर्ती Mk-1A की तुलना में कई तकनीकी सुधारों के साथ आ रहा है। इस विमान में जनरल इलेक्ट्रिक का शक्तिशाली F414-INS6 इंजन लगाया गया है, जो लगभग 98 kN का थ्रस्ट प्रदान करता है। इसका बड़ा एयरफ्रेम और 6,500 किलो तक की पेलोड क्षमता इसे विभिन्न प्रकार के हथियारों और मिशन के लिए उपयुक्त बनाती है। साथ ही, 2,500 किलोमीटर की युद्धक रेंज इसे लंबे समय तक ऑपरेशन की सुविधा देती है।
सबसे खास बात इसकी स्वदेशी तकनीक है। DRDO के इलेक्ट्रॉनिक्स और रडार विकास प्रतिष्ठान (LRDE) ने इसमें सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्कैन्ड एरे (AESA) रडार, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) सूट, स्व-सुरक्षा जैमर और इन्फ्रारेड सर्च-एंड-ट्रैक (IRST) सिस्टम विकसित किए हैं। यह सभी सिस्टम तेजस Mk-2 को क्षेत्रीय लड़ाकू विमानों की श्रेणी में एक नई पहचान देते हैं।
स्वदेशी हथियार प्रणाली का बढ़ता प्रभाव
तेजस Mk-2 में केवल उन्नत एवियोनिक्स ही नहीं, बल्कि हथियार प्रणालियाँ भी पूरी तरह से भारत में विकसित की जा रही हैं। इस विमान में Astra Mk-2 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और ब्रह्मोस-एनजी जैसी हवा से प्रक्षेपित क्रूज मिसाइलों के इस्तेमाल की संभावना है। यह स्वदेशी हथियार भारत को तकनीकी संप्रभुता की दिशा में एक बड़ा कदम आगे ले जाएगा, जिससे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम होगी।
राफेल के खिलाफ तेजस Mk-2 की मजबूती
राफेल, जो भारतीय वायुसेना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है और इसका एक परिपक्व इकोसिस्टम तैयार है। भारत के पास वर्तमान में 36 राफेल जेट परिचालन में हैं, जिनमें भारतीय ज़रूरतों के हिसाब से संशोधन और उन्नत हथियार शामिल हैं। लेकिन तेजस Mk-2 अपनी लागत-प्रभावशीलता, स्वदेशी तकनीक और क्षेत्रीय अनुकूलन की वजह से राफेल को कड़ी टक्कर दे सकता है।
चुनौतियाँ और देरी की मार
हालांकि तेजस Mk-2 की क्षमताएँ शानदार हैं, लेकिन इसे विकसित करने की प्रक्रिया बिल्कुल आसान नहीं रही। शुरुआत में यह विमान 2023 में पहली उड़ान भरने वाला था, पर इंजन की प्रमाणन प्रक्रिया और आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं के कारण इसे 2026 के अंत तक टाल दिया गया है। इसके बाद भी इसे भारतीय वायुसेना में 2031 से पहले पूरी तरह शामिल होना मुश्किल लग रहा है। इस देरी का सीधा प्रभाव पुराने जेट जैसे जगुआर और मिराज 2000 के ऑपरेशन पर पड़ेगा, जिनका उपयोग फिलहाल भारतीय वायुसेना कर रही है।
0 comments:
Post a Comment