कावेरी से मरीन तक: भारत बना रहा है 3 ताकतवर इंजन

नई दिल्ली। एक समय था जब भारत की रक्षा प्रणाली में सबसे बड़ी बाधा विदेशी इंजनों पर निर्भरता थी। चाहे वह आसमान में उड़ते लड़ाकू विमान हों, समुद्र में तैनात युद्धपोत या फिर ज़मीन पर दुश्मन को मात देने वाले टैंक – इन सबकी धड़कन माने जाने वाले इंजन अब तक विदेशों से मंगाए जाते थे। लेकिन बदलते वक्त के साथ भारत न सिर्फ इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ रहा है, बल्कि अपनी तकनीकी क्षमता और रणनीतिक स्वतंत्रता को नए आयाम भी दे रहा है।

1 .एयरो इंजन: कावेरी 2.0 से नई उड़ान

लंबे समय से प्रतीक्षित कावेरी इंजन प्रोजेक्ट एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन इस बार एक नए रूप में – कावेरी 2.0 के रूप में। DRDO की GTRE प्रयोगशाला इस इंजन को 90kN से अधिक थ्रस्ट देने की क्षमता के साथ विकसित कर रही है, जिससे यह न सिर्फ मौजूदा तेजस जेट बल्कि भविष्य के फाइटर को भी शक्ति प्रदान कर सकेगा। इस परियोजना की खास बात यह है कि यह भारत को अमेरिकी F-404 और F-414 जैसे इंजनों पर निर्भरता से मुक्त कर सकती है। कावेरी 2.0 केवल एक इंजन नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की उड़ान है।

2 .स्वदेशी शक्ति: DATRAN 1500 HP इंजन

जमीन पर भारत की रक्षा प्रणाली में सबसे निर्णायक भूमिका टैंकों की होती है। रेगिस्तान की तपती रेत से लेकर बर्फीले हिमालय तक, हर जगह एक शक्तिशाली और विश्वसनीय इंजन की जरूरत होती है। इसी जरूरत को पूरा करने के लिए भारत ने DATRAN 1500 HP इंजन पर काम शुरू किया है। यह इंजन अर्जुन टैंक, फ्यूचर रेडी कॉम्बैट व्हीकल (FRCV) और K-9 वज्र जैसे हथियार प्रणालियों के लिए एक गेम चेंजर बन सकता है। इसका मतलब साफ है – भारत अब T-90 जैसे आयातित टैंकों को भी धीरे-धीरे घरेलू इंजन से लैस कर सकता है, जिससे विदेशी विकल्पों पर निर्भरता कम होगी।

3 मरीन इंजन: ज़ोर्या से ज़माना बदलने की तैयारी

भारतीय नौसेना अब तक अपने प्रमुख युद्धपोतों के लिए यूक्रेन और अमेरिका से इंजन आयात करती रही है। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध ने सप्लाई चेन को गंभीर रूप से प्रभावित किया, और भारत को अपनी कमजोरी का अहसास कराया। अब भारत ने ठान लिया है कि 2035 तक मरीन इंजन निर्माण में भी आत्मनिर्भर बनना है। कावेरी मरीन गैस टरबाइन इस दिशा में पहला बड़ा कदम है, जिसका उन्नत संस्करण तैयार किया जा रहा है। इस इंजन के ज़रिए भारत अपने युद्धपोतों को पूरी तरह स्वदेशी शक्ति से लैस कर सकता है, जिससे रणनीतिक लचीलापन और स्वतंत्रता दोनों सुनिश्चित होंगे।

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