6th जनरेशन की दौड़: Su-57 अपग्रेड और F-47 में कौन बनेगा आसमान का राजा?

नई दिल्ली। 2030 तक वायु शक्ति की दुनिया में एक निर्णायक मोड़ आने वाला है। एक तरफ रूस अपने Su-57 फाइटर जेट का अपग्रेडेड वर्जन तैयार कर रहा है, तो दूसरी ओर अमेरिका अपनी अगली पीढ़ी की लड़ाकू विमान परियोजना के तहत F-47 को मैदान में उतारने की तैयारी में है। दोनों ही देशों का लक्ष्य स्पष्ट है — हवाई युद्ध में पूर्ण प्रभुत्व। सवाल यह है कि छठी पीढ़ी की इस तकनीकी रेस में कौन बाज़ी मारेगा?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस अगली पीढ़ी के योद्धा

F-47 और Su-57 अपग्रेड, दोनों ही विमानों में AI को एक प्रमुख तत्व के रूप में शामिल किया जा रहा है। रूसी Su-57 अपग्रेड का उद्देश्य है कि AI पायलट को तेजी से निर्णय लेने और खतरों की पहचान करने में सहायता दे। वहीं अमेरिकी F-47 को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि वह आंशिक या पूर्णतः स्वायत्त मिशनों को संभाल सके। यानी, वह बिना मानवीय हस्तक्षेप के भी जटिल ऑपरेशन को अंजाम दे सकेगा।

स्टील्थ तकनीक: कौन रहेगा रडार से अदृश्य?

स्टील्थ क्षमता 6th जनरेशन फाइटर जेट्स की नींव मानी जा रही है। अमेरिका ने F-47 को शुरुआत से ही न्यूनतम रडार सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया है, जो विवादित क्षेत्रों में अदृश्य तरीके से घुसने में मदद करेगा। दूसरी तरफ, रूस Su-57 के एयरफ्रेम और कोटिंग्स में सुधार कर रहा है ताकि रडार पर उसकी उपस्थिति और भी कम हो जाए। तकनीकी विश्लेषकों के मुताबिक, इस क्षेत्र में अमेरिका को थोड़ी बढ़त हासिल हो सकती है, क्योंकि वह स्टील्थ तकनीक में पहले से अग्रणी रहा है।

हाइपरसोनिक हथियार से होंगे लैस

Su-57 अपग्रेड के साथ रूस हाइपरसोनिक मिसाइलें तैनात कर रहा है जो पांच माक (ध्वनि की गति से पांच गुना) से तेज गति से दुश्मन पर हमला कर सकती हैं। अमेरिका भी F-47 को इसी प्रकार के हाई-स्पीड हथियारों से लैस करने पर काम कर रहा है। हाइपरसोनिक हथियारों की यह होड़ न केवल गति में, बल्कि सटीकता और विरोधी सिस्टम से बचने की क्षमता में भी निर्णायक साबित होगी।

एवियोनिक्स और सेंसर की होड़

जहां रूस Su-57 में बेहतर रडार और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग सिस्टम पर ध्यान दे रहा है, वहीं अमेरिका F-47 के लिए मल्टी-स्पेक्ट्रल सेंसर, डेटा फ्यूजन और नेटवर्क्ड कॉम्बैट सिस्टम्स को विकसित कर रहा है। F-47 को इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है कि वह मानवयुक्त और मानवरहित दोनों मिशनों को सहजता से एक साथ संचालित कर सके — जिसे ‘मैन–अनमैंड टीमिंग’ कहा जाता है।

उत्पादन, निर्यात और वैश्विक रणनीति

जहां अमेरिका को अपने विशाल रक्षा बजट और सहयोगी देशों का समर्थन प्राप्त है, वहीं रूस को Su-57 अपग्रेड के बड़े पैमाने पर उत्पादन और निर्यात को लेकर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। F-47 का निर्माण संभवतः तेज़ गति से होगा और यह नाटो देशों में भी अपनाया जा सकता है, जिससे इसका वैश्विक प्रभाव अधिक व्यापक होगा।

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