8वें वेतन आयोग पर रिपोर्ट: लाखों कर्मचारियों के लिए उम्मीद की नई किरण?

नई दिल्ली। भारत में हर वेतन आयोग की घोषणा लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए बड़ी उम्मीदें लेकर आती है। अब जबकि सातवां वेतन आयोग 2025 के अंत तक प्रभावी है, वित्त वर्ष 2026-27 से लागू होने की संभावना वाले आठवें वेतन आयोग को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। हाल ही में प्रतिष्ठित ब्रोकरेज फर्म एम्बिट कैपिटल द्वारा जारी एक रिपोर्ट ने इस उम्मीद को और बल दिया है कि अगला वेतन आयोग पहले से कहीं अधिक प्रभावशाली हो सकता है।

30-34% तक वेतन और पेंशन में संभावित वृद्धि

एम्बिट कैपिटल के अनुसार, आठवें वेतन आयोग के लागू होने पर केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के वेतन एवं पेंशन में 30% से 34% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह अनुमान करीब 1.12 करोड़ कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। इससे न केवल उनकी डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी, बल्कि इससे देश में खपत और आर्थिक गतिविधियों को भी रफ्तार मिलने की उम्मीद है।

किन सेक्टर्स को होगा फायदा?

वेतन वृद्धि का असर सिर्फ सरकारी कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा। बढ़ी हुई आय से उपभोग बढ़ेगा, जिससे FMCG, BFSI, क्यूएसआर (रेस्टोरेंट्स), और पैसेंजर व्हीकल सेक्टर को लाभ हो सकता है। विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में इन सेक्टरों की मांग में तेजी आने की संभावना है।

कितना खर्च करेगी सरकार?

इस वेतन वृद्धि को लागू करने के लिए सरकार को 1.3 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त राजकोषीय जगह की जरूरत होगी। ऐसे में बजट संतुलन बनाए रखने के लिए सरकार को कुछ कड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं, जैसे: कैपिटल खर्च में कटौती, जीएसटी दरों में युक्तिकरण, पब्लिक सेक्टर कंपनियों और RBI से अधिक लाभांश लेना। एम्बिट का कहना है कि यदि आयकर संग्रह में तेज बढ़त नहीं हुई, तो सरकार को पूर्व की तरह अपने पूंजीगत व्यय को सीमित करना पड़ सकता है।

फिटमेंट फैक्टर की भूमिका

इस संभावित बढ़ोतरी का वास्तविक आकार इस बात पर निर्भर करेगा कि "फिटमेंट फैक्टर" (जिसके आधार पर वेतन संरचना तैयार होती है) को कितना बढ़ाया जाता है। अगर यह बढ़ोतरी अधिक होती है, तो वेतन में 54% तक की वृद्धि भी संभव है। वहीं न्यूनतम परिदृश्य में यह 14% तक सीमित रह सकती है।

नया पेंशन योगदान और बाजार पर असर

एम्बिट कैपिटल ने यह भी बताया कि 2026 से लागू होने वाली इंटीग्रेटेड पेंशन स्कीम के तहत सरकार का योगदान 14% से बढ़कर 18.5% हो गया है। इस अतिरिक्त फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी बाजारों में लगाया जा सकता है। यदि सरकार वैश्विक मानदंडों के अनुरूप 45% इक्विटी में निवेश करती है, तो शेयर बाजार में 46,500 करोड़ रुपये तक का प्रवाह देखने को मिल सकता है, जो बाजार के लिए एक बड़ा पॉजिटिव संकेत होगा।

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