क्यों महत्वपूर्ण है MQ-9B की तैनाती?
भारत-चीन सीमा, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहा जाता है, लगभग 3,488 किलोमीटर लंबी है। यह क्षेत्र भूगोलिक रूप से जटिल, ऊबड़-खाबड़ और मौसम की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है। इस क्षेत्र में निगरानी करना हमेशा से कठिन रहा है, लेकिन अब MQ-9B जैसे अत्याधुनिक ड्रोनों की तैनाती से भारत की निगरानी क्षमता में क्रांतिकारी सुधार होगा। इसके लिए गोरखपुर और सरसावा एयरबेस को चुना गया हैं, यह एक रणनीतिक फैसला है। ये एयरबेस न केवल चीन सीमा के अपेक्षाकृत करीब हैं, बल्कि यहां से पूर्वोत्तर के हॉटस्पॉट्स तक ड्रोनों की पहुँच तेज और असरदार होगी।
MQ-9B प्रेडेटर ड्रोन: तकनीकी शक्ति का प्रतीक
MQ-9B प्रेडेटर ड्रोन्स अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स द्वारा निर्मित हैं और इन्हें "हाई-एंड्यूरेंस" यानी लंबे समय तक उड़ान भरने वाले मानव रहित विमान माना जाता है। ये ड्रोन 40 घंटे तक लगातार उड़ान भर सकते हैं और 40,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं।
मुख्य क्षमताएं:
सेंसर टेक्नोलॉजी: यह ड्रोन सिंथेटिक अपर्चर रडार, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड कैमरा और सिग्नल इंटेलिजेंस सिस्टम से लैस है, जो दिन-रात और हर मौसम में निगरानी को संभव बनाता है।
हथियार प्रणाली: MQ-9B पर 1,700 किलोग्राम तक के हथियार तैनात किए जा सकते हैं, जिनमें लेजर-गाइडेड मिसाइलें और बम शामिल हैं। हालांकि, इसका प्राथमिक उद्देश्य निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करना ही रहेगा।
ऑपरेशनल रेंज: इसकी विशाल रेंज इसे चीन के सीमा क्षेत्र के कई संवेदनशील इलाकों तक पहुंचने में सक्षम बनाती है।
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