P-17A प्रोजेक्ट: आत्मनिर्भर भारत की मिसाल
प्रोजेक्ट 17A भारतीय नौसेना की शिवालिक-क्लास फ्रिगेट्स का अगला और ज्यादा उन्नत संस्करण है। करीब ₹45,000 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे फ्रिगेट्स में 75% कलपुर्जे भारत में ही बनाए गए हैं, जो मेक इन इंडिया पहल को मजबूती देते हैं। इन युद्धपोतों को दो प्रमुख भारतीय शिपयार्ड्स — मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) — में तैयार किया जा रहा है।
स्टील्थ तकनीक और ब्रह्मोस से लैस आधुनिक युद्धपोत
P-17A श्रेणी के इन युद्धपोतों में स्टील्थ तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे ये रडार की पकड़ में नहीं आते। इन जहाजों में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल प्रणाली, और नवीनतम सोनार व इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ भी शामिल हैं। इनकी लंबाई लगभग 149 मीटर है और ये 28 नॉट्स (लगभग 52 किमी/घंटा) की रफ्तार से चल सकते हैं। एक युद्धपोत में करीब 225 नौसैनिक तैनात रह सकते हैं।
छह फ्रिगेट्स, छह नाम — भारत की विरासत से प्रेरित
इन छह नए युद्धपोतों के नाम भारत की पहाड़ियों और ऐतिहासिक स्थलों पर आधारित हैं — उदयगिरि, तारागिरि, महेंद्रगिरि, हिमगिरि, दुनागिरि और विंध्यगिरि। ये सिर्फ नाम नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और भौगोलिक विरासत को दर्शाते हैं। INS नीलगिरी, इस सीरीज का पहला युद्धपोत, पहले ही नौसेना में शामिल हो चुका है।
चीन के बढ़ते दबाव के बीच एक निर्णायक कदम
हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन लगातार अपने सैन्य और आर्थिक प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। श्रीलंका, म्यांमार और अफ्रीकी देशों में नौसैनिक अड्डे और इन्फ्रास्ट्रक्चर डिप्लोमेसी के जरिए वह अपनी मौजूदगी को स्थायी बनाना चाहता है। भारत इस रणनीति को भली-भांति समझता है और उसके जवाब में अपनी समुद्री ताकत को बढ़ा रहा है।
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