भारत को रूस देगा ये घातक 'आसमानी हंटर', चीन परेशान!

नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग दशकों पुराना है, जिसमें समय-समय पर नई तकनीकों और अत्याधुनिक हथियारों का आदान-प्रदान होता रहा है। अब रूस ने एक ऐसा प्रस्ताव भारत के समक्ष रखा है, जो भारतीय वायुसेना की ताकत में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है — यह प्रस्ताव है, S-70 ओखोटनिक-B स्टील्थ अटैक ड्रोन, जिसे रूस में 'ओखोटनिक' और अंतरराष्ट्रीय सैन्य हलकों में 'आसमानी हंटर' के नाम से जाना जाता है।

ओखोटनिक-B: एक नई युद्ध अवधारणा की शुरुआत

ओखोटनिक-B, कोई साधारण ड्रोन नहीं है। यह एक 'अनमैन्ड कॉम्बैट एरियल व्हीकल' (UCAV) है, जिसे विशेष रूप से दुश्मन के सबसे सुरक्षित और संवेदनशील क्षेत्रों में घुसकर मिशन को अंजाम देने के लिए डिजाइन किया गया है। इसके निर्माण और संचालन में जो तकनीकें उपयोग हुई हैं, वे इसे भविष्य के हवाई युद्धों का निर्णायक तत्व बना देती हैं।

क्यों कहा जाता है इसे 'आसमानी हंटर'?

1 .स्टील्थ तकनीक में बेजोड़: ओखोटनिक-B का निर्माण ‘फ्लाइंग विंग’ डिज़ाइन पर हुआ है, जो इसे पारंपरिक विमानों से अलग बनाता है। इसकी बाहरी संरचना रडार को चकमा देने के लिए विशेष कंपोजिट मटेरियल और स्टील्थ कोटिंग से लैस है। यह उसे 'अदृश्य हंटर' जैसा बना देता है — दुश्मन की निगरानी प्रणाली इसे पकड़ नहीं पाती जब तक यह हमला नहीं कर चुका होता।

2 .भारी पेलोड और हथियार क्षमता: यह ड्रोन लगभग 2.8 टन तक हथियार और उपकरण ले जाने में सक्षम है। यह क्षमता इसे पारंपरिक लड़ाकू विमानों के बराबरी पर खड़ा करती है। इसमें सटीक निर्देशित बम, एंटी-रेडिएशन मिसाइल और क्रूज़ मिसाइल तक फिट किए जा सकते हैं।

3 .बहु-भूमिका निभाने वाला ड्रोन: ओखोटनिक-B एक बहुकार्य प्रणाली है — यह दुश्मन पर हमला करने के साथ-साथ खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी करने, इलेक्ट्रॉनिक जामिंग और साइबर-युद्ध जैसे मिशन को भी अंजाम दे सकता है। यानी, यह एक ही समय में कई तरह की भूमिकाएं निभा सकता है।

4 .अभूतपूर्व रेंज और ऑटोनॉमी: इसकी ऑपरेशनल रेंज 6,000 किलोमीटर तक बताई जाती है — यह न केवल सीमाओं पर बल्कि गहरे दुश्मन क्षेत्र में भी बिना देखे घुसकर मिशन को अंजाम देने में सक्षम है। यह क्षमता भारत जैसे विशाल भौगोलिक और रणनीतिक परिदृश्य वाले देश के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

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