बैलिस्टिक मिसाइलों की रेस: विश्व के अग्रणी 6 देश!

नई दिल्ली। आज की दुनिया में राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सीमाओं पर तैनात सैनिकों या टैंकों तक सीमित नहीं रह गई है। तकनीक ने युद्ध और रक्षा की परिभाषा को बदल दिया है। अब देश अपनी ताकत बैलिस्टिक मिसाइलों (Ballistic Missiles) की क्षमता से दर्शाते हैं। ये मिसाइलें अत्यधिक दूरी तक, मिनटों में, परमाणु या पारंपरिक हथियार पहुंचाने में सक्षम होती हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक बैलेस्टिक मिसाइलों की इस रेस में छह देश सबसे आगे हैं – रूस, अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और फ्रांस। ये राष्ट्र न केवल अपने मिसाइल सिस्टम को लगातार आधुनिक बना रहे हैं, बल्कि वैश्विक सामरिक संतुलन को भी आकार दे रहे हैं।

1 .रूस: सबसे उन्नत बैलेस्टिक मिसाइल

रूस के पास दुनिया की सबसे शक्तिशाली ICBM है – RS-28 Sarmat (Satan-II), जिसकी मारक क्षमता 18,000 किमी तक है। ये मिसाइलें MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) तकनीक से लैस हैं, जिससे एक मिसाइल कई जगह पर एक साथ हमला कर सकती है।

2 .अमेरिका: परमाणु त्रिकोण में अग्रणी

अमेरिका की Minuteman-III ICBM लगभग 13,000 किमी की रेंज तक वार कर सकती है। वहीं, Trident II D5 SLBM अमेरिका की परमाणु पनडुब्बियों से दागी जाती है और यह नौसैनिक मिसाइल प्रणाली विश्व की सबसे सटीक मानी जाती है। इसकी रेंज भी 12000 किमी हैं। 

3 .चीन: तेजी से बढ़ती मिसाइल ताक़त

चीन की सबसे शक्तिशाली मिसाइल DF-41 ICBM की रेंज 15,000 किमी तक है। इसके पास JL-3 जैसी SLBM भी है, जो परमाणु पनडुब्बियों से छोड़ी जाती है। चीन की रणनीति में मिसाइलों का उपयोग शक्ति प्रदर्शन और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में दबदबा बनाए रखने के लिए होता है।

4 .भारत: संतुलनकारी शक्ति के रूप में उभार

भारत की Agni-V ICBM की रेंज 5,000 से 8,000 किमी है और यह देश के रणनीतिक प्रतिरोध की रीढ़ है। भारत के पास K-4 और K-15 जैसी पनडुब्बी से दागी जाने वाली मिसाइलें (SLBM) भी हैं।

5 .ब्रिटेन: सीमित लेकिन प्रभावशाली क्षमताएं

ब्रिटेन की मिसाइल शक्ति मुख्यतः अमेरिका से ली गई Trident II D5 SLBM पर आधारित है। यह मिसाइल प्रणाली Vanguard-class परमाणु पनडुब्बियों से संचालित होती है। इसकी रेंज भी 12000 किमी हैं।

6 .फ्रांस: स्वतंत्र और विश्वसनीय परमाणु शक्ति

फ्रांस के पास M51 नामक SLBM है, जिसकी रेंज लगभग 8,000–10,000 किमी तक है। फ्रांस ने अपनी परमाणु शक्ति को पूरी तरह स्वदेशी नियंत्रण में रखा है।

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