पिनाका IV: शक्ति और स्मार्टनेस का मेल
‘पिनाका’ नाम भगवान शिव के धनुष से प्रेरित है, और यह मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर भारतीय सेना की ताकत में एक अहम स्तंभ रहा है। पिनाका IV संस्करण में इस प्रणाली को और भी उन्नत बनाया गया है, जिससे यह आधुनिक युद्ध की मांगों को पूरा कर सके। इस रॉकेट में बड़ी क्षमता वाला 300 मिमी कैलिबर है, जो 250 किलोग्राम तक के वारहेड को लेकर निशाने पर वार कर सकता है। इसके साथ ही, यह अपने पूर्ववर्ती 214 मिमी मॉडल से ज्यादा ईंधन ले सकता है, जिससे इसकी मारक दूरी और शक्ति दोनों बढ़ जाती है।
दुश्मन की एयर डिफेंस को मात
पिनाका IV की सबसे बड़ी खासियत है कि यह दुश्मन के हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम जैसे रूस के S-400 या चीन के HQ-9 को चकमा देने में सक्षम है। DRDO की प्रलय बैलिस्टिक मिसाइल के अनुभव से प्रेरित होकर, पिनाका IV उड़ान के दौरान अपनी दिशा बदल सकता है, उड़ान पथ में बदलाव कर सकता है और इलेक्ट्रॉनिक उपायों से रडार की पकड़ से बच सकता है। इसका मतलब यह है कि दुश्मन के रक्षात्मक नेटवर्क के बावजूद यह मिसाइल अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सफल रहेगी।
सटीकता में नए मानक
इस रॉकेट में एडवांस मार्गदर्शन, नेविगेशन और नियंत्रण (GNC) सिस्टम लगाया गया है, जो IRNSS (भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली), GPS और संभावित मिलीमीटर-वेव (MMW) सीकर तकनीक का उपयोग करता है। इससे पिनाका IV न केवल अधिक सटीक होता है, बल्कि ऐसे क्षेत्रों में भी निशाना लगा सकता है जहां पारंपरिक GPS काम नहीं करता। इसकी सटीकता चीन और रूस के बेहतरीन MBRL सिस्टम्स के बराबर या उनसे बेहतर मानी जा रही है।
राष्ट्रीय और वैश्विक महत्व
पिनाका IV का विकास DRDO की आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (ARDE) के नेतृत्व में, साथ ही निजी कंपनियों जैसे सोलर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के सहयोग से हुआ है। 2028 में इसके परीक्षण शुरू होने की योजना है और 2030 तक इसे भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही, यह मिसाइल भारत के हथियार निर्यात को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करेगी। पहले ही आर्मेनिया ने पिनाका बैटरियों के लिए बड़ी मात्रा में ऑर्डर दिए हैं, जबकि इंडोनेशिया, नाइजीरिया और फ्रांस जैसी कई देश भी इस प्रणाली में गहरी रुचि दिखा रहे हैं।
0 comments:
Post a Comment