1. अमेरिका: हवा का बेताज बादशाह (13,043 विमान)
अमेरिका का एयर फोर्स सिस्टम न केवल दुनिया में सबसे बड़ा है, बल्कि तकनीक और मारक क्षमता के मामले में भी सबसे आगे है। एफ-22 रैप्टर, एफ-35 लाइटनिंग II जैसे स्टील्थ फाइटर जेट्स इसकी सबसे बड़ी ताकत हैं। अमेरिका के पास अकेले फाइटर जेट्स ही नहीं, बल्कि टैंकर, अटैक हेलिकॉप्टर, एयरबोर्न वार्निंग सिस्टम और अत्याधुनिक ड्रोन की भी विशाल संख्या है।
2. रूस: पुराने जखीरे और नई चुनौती (4292 विमान)
रूस के पास भले ही अमेरिकी बराबरी की तकनीक न हो, लेकिन उसके पास मिग, सुखोई जैसे भारी संख्या में फाइटर जेट हैं जो आज भी कई देशों की सेनाओं की रीढ़ हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने अपनी हवाई ताकत पर और ज़ोर देना शुरू किया है।
3. चीन: तेजी से बढ़ती ताकत (3309 विमान)
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयर फोर्स (PLAAF) हर साल अपनी क्षमताओं में इजाफा कर रही है। जे-20 जैसे स्टील्थ जेट और घरेलू रूप से बनाए गए ड्रोन इसे एशिया में एक बड़ी हवाई शक्ति बना रहे हैं। चीन अब सिर्फ संख्या नहीं, तकनीक में भी आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है।
4. भारत: आत्मनिर्भर वायुसेना की ओर कदम (2229 विमान)
भारत की वायुसेना एशिया की सबसे पुरानी और सबसे अनुभवी एयरफोर्स में से एक मानी जाती है। राफेल, सुखोई-30, मिराज-2000 जैसे आधुनिक फाइटर जेट्स के साथ-साथ तेजस जैसे स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता को दर्शाते हैं। भारत का लक्ष्य 2030 तक एयरफोर्स को पूरी तरह से आधुनिक और स्वदेशी बनाने का है।
5. दक्षिण कोरिया: सीमित क्षेत्र, बड़ी ताकत (1592 विमान)
उत्तर कोरिया की चुनौती से निपटने के लिए दक्षिण कोरिया ने अपने हवाई बेड़े को मजबूत बनाया है। अमेरिकी सहयोग और एफ-35 जैसे उन्नत फाइटर जेट्स के साथ यह देश अपनी सुरक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ता। इसके पास आधुनिक वायुसेना मौजूद हैं।
6. जापान: हाईटेक वायुशक्ति (1443 विमान)
जापान तकनीक के क्षेत्र में अग्रणी देश है और यह उसकी वायुसेना में भी साफ दिखाई देता है। जापान के पास एफ-15 और एफ-35 जैसे अत्याधुनिक फाइटर जेट्स के साथ-साथ बेहतरीन रडार और डिफेंस सिस्टम भी हैं। जापान की एयरफोर्स क्षेत्रीय सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रही है।
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