क्या है 'किल लॉक'?
‘किल लॉक’ का मतलब है कि एक फाइटर जेट ने अपने लक्ष्य पर मिसाइल दागने की आदर्श स्थिति प्राप्त कर ली है। जब राफेल ने F-35 को अपने इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) सिस्टम से लॉक किया, तब यह स्पष्ट हो गया कि अमेरिकी स्टील्थ जेट अगर असली युद्ध में होता, तो वह बच नहीं पाता।
अटलांटिक ट्राइडेंट 25
16 से 27 जून 2025 तक फिनलैंड में आयोजित इस अभ्यास में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और फिनलैंड की वायु सेनाओं ने भाग लिया। इसमें चौथी और पाँचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स के बीच तालमेल, सामरिक क्षमता और युद्धक स्थितियों का मूल्यांकन किया गया। कुल 40 से ज्यादा विमानों और 1000 से अधिक सैनिकों ने इसमें हिस्सा लिया।
कैसे दी राफेल ने मात?
राफेल की असली ताकत उसके डिजाइन और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम में है। डेल्टा विंग और कैनार्ड कॉन्फ़िगरेशन उसे अत्यधिक फुर्तीला बनाते हैं। F-35 की तुलना में, जो मुख्यतः स्टील्थ और लंबी दूरी के हमलों के लिए डिज़ाइन किया गया है, राफेल नजदीकी हवाई युद्ध में कहीं अधिक सक्षम साबित हुआ। फ्रांस की वायु सेना द्वारा साझा किए गए वीडियो में देखा गया कि राफेल ने मात्र कुछ सेकंड में F-35 पर लॉक पा लिया। यह दिखाता है कि स्टील्थ होना हमेशा हर परिस्थिति में लाभ नहीं देता।
क्या यह पहली बार है?
आपको बता दें की यह कोई नई घटना नहीं है जब राफेल ने अमेरिकी स्टील्थ फाइटर को पछाड़ा हो। 2009 में UAE में हुए एक अभ्यास में भी राफेल ने F-22 रैप्टर पर ‘लॉक’ हासिल किया था। इससे यह साफ है कि राफेल का प्रदर्शन सिर्फ तकनीकी आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह असली मुकाबलों में भी खुद को साबित कर चुका है।
भारत के लिए गर्व की बात
भारत ने 36 राफेल खरीदे हैं और भविष्य में और खरीद की संभावना भी बनी हुई है। यह सफलता भारतीय वायुसेना की पसंद को मजबूती देती है। वहीं इस खबर से अमेरिका में भी खलबली मच गई हैं। क्यों की ये खबर राफेल को दुनिया के बाजार में बिक्री को बढ़ा देगा।
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