आज दुनिया के सात देश ऐसे हैं, जिन्होंने ICBM क्षमता विकसित कर ली है और इसे लगातार उन्नत भी कर रहे हैं। यह रेस सिर्फ रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक दबदबे, भू-राजनीतिक शक्ति और रणनीतिक संतुलन की लड़ाई बन चुकी है। आइए जानते हैं, कौन हैं ये सात देश और कहां तक पहुंच चुकी है उनकी ICBM ताकत।
रूस: सबसे घातक ICBM मिसाइल
रूस ICBM तकनीक में वर्षों से दुनिया का अगुआ रहा है। उसके पास RS-24 Yars, Topol-M और हाल ही में विकसित RS-28 Sarmat (Satan-2) जैसे मिसाइल सिस्टम हैं, जो 10 से अधिक MIRV (Multiple Independently Targetable Reentry Vehicles) ले जा सकते हैं। इसकी मारक क्षमता 18,000 किलोमीटर तक मानी जाती है।
अमेरिका: तकनीक और ताकत का नाम
अमेरिका के पास Minuteman III और Trident II D5 जैसे आधुनिक ICBM सिस्टम हैं। अमेरिका अपनी त्रि-आयामी परमाणु रणनीति (Land, Air, Sea) के तहत हर मोर्चे पर मजबूत है। Sentinel नामक अगली पीढ़ी की ICBM प्रणाली भी विकास में है। इसकी रेंज 13000 किमी तक है।
चीन: चुपचाप लेकिन तेजी से उभरती महाशक्ति
चीन ने पिछले एक दशक में ICBM तकनीक में जबरदस्त प्रगति की है। उसके पास DF-5B, DF-31A, और DF-41 जैसी मिसाइलें हैं, जिनकी रेंज 12,000-15,000 किमी तक है। चीन की खासियत है उसकी साइलो से लॉन्च और मोबाइल लॉन्चर आधारित क्षमता, जो उसे अधिक लचीलापन देती है।
ब्रिटेन: सीमित लेकिन विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक
ब्रिटेन की ICBM क्षमता पूरी तरह Trident II D5 मिसाइल पर आधारित है, जिसे वो अपने परमाणु-सशस्त्र Vanguard-class पनडुब्बियों से संचालित करता है। हालाँकि संख्या सीमित है, लेकिन ब्रिटेन की रणनीति पूर्ण प्रतिरोधक और जवाबी हमले की है। इसकी रेंज 12000 किमी हैं।
फ्रांस: स्वतंत्र परमाणु नीति का पैरोकार और यूरोप की ताकत
फ्रांस की ICBM क्षमता भी Triomphant-class पनडुब्बियों में तैनात M51 मिसाइलों पर केंद्रित है। उसकी नीति “डर की रणनीति” (Force de dissuasion) पर आधारित है, जिससे वो किसी भी हमले की स्थिति में भारी जवाबी हमला कर सके। इसकी रेंज 10000 किमी हैं।
भारत: आत्मनिर्भर ICBM शक्ति की ओर तेजी से बढ़ती हुई ताकत
भारत ने Agni-V मिसाइल के सफल परीक्षण के साथ ICBM क्लब में कदम रखा है। इसकी मारक क्षमता लगभग 5,500–7,000 किलोमीटर तक मानी जाती है। इसके अलावा Agni-VI के विकास की भी अटकलें हैं, जो भारत की दूरगामी परमाणु नीतियों का संकेत है। भारत की नीति नो फर्स्ट यूज़ (NFU) पर आधारित है, लेकिन उसकी जवाबी क्षमता मजबूत है।
उत्तर कोरिया: अस्थिरता में छिपा परमाणु खतरा, हालांकि कमजोर तकनीक
उत्तर कोरिया ने हाल के वर्षों में Hwasong-15 और Hwasong-17 जैसी मिसाइलों के परीक्षण कर दुनिया को चौंकाया है। दावा किया गया है कि इनकी रेंज 13,000 किमी तक है, जिससे अमेरिका तक भी पहुंचा जा सकता है। हालांकि इसकी विश्वसनीयता पर संदेह है, फिर भी इसकी राजनीतिक धमकी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
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