1. गलत मुहूर्त में स्थापना करना
गणेश प्रतिमा की स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। गलत समय पर स्थापना करना पूजा का प्रभाव कम कर सकता है। पंचांग देखकर ही स्थापना का समय तय करें, या किसी विद्वान पंडित से सलाह लें।
2. दक्षिणमुखी प्रतिमा की स्थापना
गणेश जी की प्रतिमा का मुख उत्तर, पूर्व या पश्चिम दिशा में होना शुभ माना जाता है। दक्षिण दिशा की ओर मुख वाली मूर्ति की पूजा विशेष विधि से की जाती है, जो घरों में सामान्य रूप से नहीं की जाती। इसलिए इस दिशा से बचें।
3. टूटी या क्षतिग्रस्त मूर्ति का उपयोग
गणेश चतुर्थी पर नई, साबुत और सुंदर प्रतिमा का चयन करें। टूटी-फूटी या खंडित प्रतिमा का पूजन अशुभ माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है।
4. बिना कलश और पूजन सामग्री के पूजा
गणपति स्थापना के समय कलश की स्थापना, मोदक, दूर्वा, लाल फूल, नारियल आदि पूजन सामग्री होना आवश्यक है। बिना संपूर्ण सामग्री के पूजा अधूरी मानी जाती है।
5. विसर्जन में लापरवाही बिल्कुल न बरतें
गणेश विसर्जन एक विशेष विधि से किया जाना चाहिए। कई लोग मूर्ति को किसी भी स्थान पर विसर्जित कर देते हैं, जो धार्मिक दृष्टि से अनुचित है। जल स्रोत का चयन सोच-समझकर करें और पर्यावरण का ध्यान रखें।
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