तेज, सीधा और भविष्य की सोच से लैस
अभी तक दिल्ली से लखनऊ की दूरी तय करने में 8 से 9 घंटे लगते हैं, लेकिन इस एक्सप्रेसवे के चालू होने के बाद यही सफर महज 3 से 4 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। यह हाइवे पूरी तरह "ग्रीनफील्ड कॉरिडोर" के तौर पर विकसित किया जा रहा है, यानी बिल्कुल नई भूमि पर, जहां मौजूदा सड़क व्यवस्था से इसका कोई सीधा जुड़ाव नहीं है। इसका मकसद है एक बाधारहित, हाई-स्पीड, स्मार्ट और सुरक्षित यात्रा अनुभव देना।
एक्सप्रेसवे की खासियतें जो इसे अलग बनाती हैं:
इस एक्सप्रेस-वे पर वाहन बिना किसी ब्रेक या सिग्नल के यात्रा कर सकेंगे, जिससे समय और ईंधन दोनों की बचत होगी। फास्टैग आधारित ऑटोमैटिक टोल कटौती, जिससे रुकावट नहीं होगी। सड़क के किनारे लाखों पौधों का रोपण और सोलर स्ट्रीट लाइटिंग, जिससे पर्यावरणीय संतुलन को बढ़ावा मिलेगा। हर कुछ किलोमीटर पर सीसीटीवी निगरानी, इमरजेंसी कॉल बॉक्स, हेल्पलाइन और एम्बुलेंस सेवाएं उपलब्ध रहेंगी। आसपास के गांवों और कस्बों के लिए अलग लेन की व्यवस्था।
इस एक्सप्रेस-वे से किन जिलों को मिलेगा सबसे बड़ा फायदा?
इस एक्सप्रेसवे का लाभ सिर्फ नोएडा और लखनऊ तक सीमित नहीं रहेगा। इसका रूट जिन जिलों से होकर गुजरेगा, वहां की आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। अनुमान है कि यह परियोजना हरदोई, उन्नाव, कानपुर देहात, एटा, कासगंज, बुलंदशहर और गौतम बुद्ध नगर जैसे जिलों को सीधे जोड़ेगी। यह जिलों के लिए केवल एक सड़क नहीं, बल्कि नई संभावनाओं का रास्ता साबित होगी।
यूपी का भविष्य होगा ये नोएडा-लखनऊ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे
नोएडा-लखनऊ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे महज एक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के भविष्य का रोडमैप है। यह प्रदेश को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जोड़ने, निवेश को आकर्षित करने और आम जनता के जीवन को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। आने वाले वर्षों में, जब गाड़ियाँ इस हाईवे पर दौड़ेंगी, तो उसके साथ दौड़ेगा एक नए उत्तर प्रदेश का सपना तेज़, आधुनिक और तरक्की की राह पर अग्रसर।
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