पैक्स के ज़रिए डेयरी मॉडल की स्थापना
सहकारिता विभाग ने इस महत्वाकांक्षी योजना का प्रारूप तैयार कर लिया है, जिसमें पहले चरण में 2265 पैक्स को शामिल किया जाएगा। इन केंद्रों के माध्यम से पंचायत स्तर पर डेयरी फार्म, दूध प्रसंस्करण संयंत्र, और उससे जुड़ा बुनियादी ढांचा विकसित किया जाएगा। योजना का प्रस्ताव जल्द ही पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय को सौंपा जाएगा, जिसमें नाबार्ड से वित्तीय सहायता लेने की भी बात है।
आधुनिक सुविधाएं और प्रशिक्षण का प्रावधान
यह पहल सिर्फ भौतिक ढांचे की स्थापना तक सीमित नहीं है। सरकार ने तय किया है कि डेयरी से जुड़े इच्छुक ग्रामीणों और किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसमें दुधारू पशुओं का पालन, उनका खान-पान, स्वास्थ्य परीक्षण, और व्यवसाय संचालन जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया जाएगा। इससे ग्रामीणों को व्यावसायिक दृष्टिकोण से डेयरी संचालन में निपुणता हासिल होगी।
ऋण और वित्तीय सेवाओं की आसान उपलब्धता
पैक्स, जो अब तक कृषि ऋण और बीज-उर्वरक वितरण तक सीमित थे, उन्हें अब डेयरी व्यवसाय के लिए एक संपूर्ण सेवा केंद्र के रूप में बदला जाएगा। किसानों को डेयरी शुरू करने के लिए आवश्यक ऋण, बीमा और वित्तीय सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी। इससे न केवल प्रारंभिक लागत की चिंता कम होगी, बल्कि दीर्घकालिक व्यवसाय योजना बनाना भी आसान होगा।
बिहार के पैक्स में खुलेगी दुग्ध उत्पादों की दुकानें
सिर्फ उत्पादन तक सीमित न रहकर, सरकार ने डेयरी उत्पादों की विपणन की व्यवस्था भी करने का निर्णय लिया है। प्रत्येक चयनित पैक्स में दुग्ध उत्पादों की बिक्री के लिए दुकानें खोली जाएंगी, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल सके और ग्रामीण उपभोक्ताओं को शुद्ध स्थानीय उत्पाद उपलब्ध हो सकें।
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