आखिर क्यों हो रही है देरी?
दरअसल, वेतन आयोग का गठन कोई तात्कालिक प्रक्रिया नहीं होती। यह एक बहु-स्तरीय और तकनीकी प्रक्रिया है, जिसमें केंद्र सरकार आयोग का गठन करती है, उसके लिए Terms of Reference (ToR) यानी कार्यक्षेत्र निर्धारित किया जाता है, फिर आयोग डेटा इकट्ठा करता है, कर्मचारियों के हितधारकों से बातचीत होती है, और अंततः सिफारिशें तैयार होती हैं। इसके बाद भी उन सिफारिशों को लागू करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी और प्रशासनिक प्रक्रिया जरूरी होती है।
7वें वेतन आयोग के अनुभव से सीख लेते हुए, यह स्पष्ट हो चुका है कि गठन से लागू होने तक की पूरी प्रक्रिया में लगभग 3 साल तक लग सकते हैं। उस लिहाज़ से अगर 8वां वेतन आयोग 2025 की शुरुआत में भी गठित होता है, तो इसकी सिफारिशें 2027 के अंत या 2028 की शुरुआत तक ही जमीन पर उतर पाएंगी।
अब तक क्या हुआ है?
2025 में केंद्र सरकार की ओर से आयोग के गठन की घोषणा जरूर हुई थी, लेकिन अब तक आयोग के चेयरपर्सन, सदस्य, या ToR तक तय नहीं हुए हैं। 6 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन फॉर्मल नोटिफिकेशन तक जारी नहीं हुआ है। यह सुस्ती ही प्रक्रिया को और पीछे धकेल रही है।
वित्त राज्य मंत्री का क्या कहना है?
हाल ही में संसद के मॉनसून सत्र में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में बताया कि सरकार को इस विषय पर कई सुझाव प्राप्त हुए हैं और जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने यह भरोसा जरूर दिया कि रिपोर्ट तय समय पर आएगी, लेकिन यह समयसीमा ToR घोषित होने के बाद ही तय की जाएगी। यानी अभी सारा मामला अधर में लटका हुआ है।
कर्मचारी और पेंशनर्स की चिंता बढ़ी
महंगाई लगातार बढ़ रही है और दैनिक खर्चों पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। ऐसे में वेतन पुनरीक्षण की देरी सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स दोनों के लिए चिंता का कारण बन रही है। हर 10 साल में वेतन आयोग लागू करने की परंपरा रही है, लेकिन 8वें आयोग की प्रक्रिया में जो अनिश्चितता दिख रही है, वह पहले की तुलना में अलग और परेशान करने वाली है।
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