क्यों जरूरी हुआ यह बदलाव?
हाल के वर्षों में जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़े मामलों में धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े की घटनाएं सामने आती रही हैं। कहीं जमीन का स्वामित्व स्पष्ट नहीं होता, तो कहीं कागजात में हेरफेर की शिकायतें मिलती हैं। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए रजिस्ट्री प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में यह पहल की गई है।
नए नियम के तहत क्या करना होगा?
रजिस्ट्री से पहले निबंधनार्थी (जिन्हें जमीन की रजिस्ट्री करानी है) को तीन से चार दिन पहले निबंधन कार्यालय में एक निर्धारित फॉर्म भरकर जमा करना होगा। इसके बाद निबंधन कार्यालय के कर्मी स्वयं जाकर संबंधित भूमि का स्थल निरीक्षण करेंगे। यदि निरीक्षण में भूमि और दस्तावेजों की स्थिति संतोषजनक पाई जाती है, तभी आगे की रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू होगी।
किन इलाकों में लागू हुआ नियम?
यह नियम पहले केवल शहरी क्षेत्रों से सटे कुछ चुनिंदा मौजों तक सीमित था, लेकिन अब इसका विस्तार करते हुए बक्सर, इटाढ़ी और चौसा अंचल के 252 मौजों को इसमें शामिल कर लिया गया है। इस नई व्यवस्था से जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी, साथ ही फर्जीवाड़े की संभावनाएं भी कम होंगी। जमीन के असली स्वामित्व की पुष्टि होने से खरीदारों का भरोसा भी बढ़ेगा। इसके साथ ही यह नियम सरकारी राजस्व में भी इजाफा कर सकता है, क्योंकि गलत दस्तावेजों या भूमियों पर रोक लगने से फर्जी सौदे नहीं हो पाएंगे।
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