एक्सप्रेसवे नेटवर्क का बढ़ता प्रभाव
उत्तर प्रदेश में पहले से ही कई मेगा एक्सप्रेसवे हैं। जैसे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे। अब इन परियोजनाओं को और व्यापक बनाने के लिए लिंक एक्सप्रेसवे तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी कुल लागत लगभग ₹15,000 करोड़ आंकी गई है। इन परियोजनाओं से उन शहरों को सीधा लाभ मिलेगा जो अब तक बड़ी सड़क परियोजनाओं से अछूते थे।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे: पूर्वांचल की नई धड़कन
गोरखपुर को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जोड़ने वाला यह 91 किलोमीटर लंबा चार लेन का एक्सप्रेसवे पहले ही बनकर तैयार हो चुका है। इसकी शुरुआत गोरखपुर जिले के जैतपुर गांव (NH-27) से होती है और यह आजमगढ़ जिले के सलारपुर गांव तक जाता है। इस परियोजना ने पूर्वी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। व्यापार, रियल एस्टेट, और पर्यटन के क्षेत्र में इसकी सीधी भागीदारी देखी जा रही है।
बुंदेलखंड को गति देंगे झांसी और चित्रकूट लिंक एक्सप्रेसवे
झांसी और चित्रकूट जैसे शहरों के लिए बन रहे लिंक एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड क्षेत्र में विकास की धारा बहा सकते हैं। झांसी लिंक एक्सप्रेसवे जहां लगभग 125-135 किलोमीटर लंबा होगा, वहीं चित्रकूट एक्सप्रेसवे अपेक्षाकृत छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगा। इन सड़कों से न केवल यातायात में सुधार होगा, बल्कि औद्योगिक गलियारे और रक्षा कॉरिडोर जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को भी मजबूती मिलेगी।
गाजीपुर-चंदौली लिंक एक्सप्रेसवे: पूर्वांचल को मिलेगा नया विस्तार
विंध्य और पूर्वांचल को जोड़ने वाला 100 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा। वाराणसी, गाजीपुर और चंदौली जैसे शहरों के बीच आवाजाही आसान होगी, जिससे छोटे उद्योगों और कृषि आधारित व्यवसायों को लाभ मिलेगा। इसके जरिए स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
गंगा एक्सप्रेसवे और जेवर एयरपोर्ट लिंक: भविष्य के ट्रांसपोर्ट हब की नींव
गंगा एक्सप्रेसवे, जो मेरठ से प्रयागराज तक फैला है, पहले से ही एक मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट माना जा रहा है। अब इस एक्सप्रेसवे को जेवर एयरपोर्ट से जोड़ने के लिए एक 76 किलोमीटर लंबा नया लिंक एक्सप्रेसवे बनाया जाएगा। यह नोएडा, बुलंदशहर और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरी इलाकों से होकर गुजरेगा और इसे यमुना एक्सप्रेसवे से जोड़ देगा। इससे जेवर एयरपोर्ट का लाभ पूरे राज्य को मिलेगा और राज्य का ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क राष्ट्रीय स्तर पर एक मॉडल बन सकता है।
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