इस पहल का उद्देश्य नवनियुक्त प्रधानाध्यापकों में नेतृत्व क्षमता का विकास करना है ताकि वे अपने विद्यालयों को बेहतर ढंग से चला सकें, अन्य शिक्षकों को मार्गदर्शन दे सकें और विद्यार्थियों के लिए एक सकारात्मक शैक्षिक माहौल सुनिश्चित कर सकें।
राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा इस प्रशिक्षण का प्रारूप तैयार किया गया है। परिषद के निदेशक दिनेश कुमार ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को 30 अगस्त तक सभी तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही डायट, सीटीई, पीटीईसी और बाइट संस्थानों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि प्रशिक्षण के लिए जरूरी आवासीय व्यवस्था समय पर उपलब्ध हो।
प्रशिक्षण में भाग लेने वाले प्रधानाध्यापकों को न केवल नेतृत्व कौशल सिखाया जाएगा, बल्कि उन्हें अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणास्रोत भी बनाया जाएगा। इसके लिए ‘मास्टर ट्रेनर’ प्रणाली अपनाई जा रही है, जिसमें ऐसे प्रधानाध्यापक चुने जाएंगे जिनके विद्यालय अनुकरणीय माने जाते हैं और जिनके पास विद्यालय प्रबंधन की मजबूत समझ है। इन मास्टर ट्रेनर्स को आगे भी प्रशिक्षकों के रूप में तैयार किया जाएगा ताकि प्रशिक्षण प्रक्रिया निरंतर चल सके।
इस पहल से बिहार के सरकारी विद्यालयों में शैक्षिक गुणवत्ता और प्रशासनिक दक्षता में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद की जा रही है। एक मजबूत नेतृत्व व्यवस्था से स्कूलों की समग्र कार्यक्षमता में वृद्धि होगी और शिक्षा के स्तर में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।
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