लंबे समय से अटका सौदा, अब आगे बढ़ा
करीब छह महीने से लंबित यह रक्षा सौदा आखिरकार सरकार की मंजूरी के बाद अब तेजी से आगे बढ़ेगा। रक्षा मंत्रालय और मझगांव डॉकयार्ड्स को बातचीत शुरू करने की अनुमति दे दी गई है। इससे यह उम्मीद बंधी है कि सितंबर के अंत तक दोनों पक्षों के बीच तकनीकी और व्यावसायिक बातचीत प्रारंभ हो जाएगी।
क्यों खास है यह प्रोजेक्ट?
प्रोजेक्ट 75I भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य न केवल अत्याधुनिक तकनीक को देश में लाना है, बल्कि देश के भीतर पनडुब्बी निर्माण की क्षमता को विकसित करना भी है। यह भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी छलांग मानी जा रही है।
जर्मन तकनीक से लैस होगी पनडुब्बियां
इन पनडुब्बियों की खासियत यह होगी कि इनमें एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक का इस्तेमाल होगा। यह तकनीक पनडुब्बियों को बिना सतह पर आए लंबे समय तक पानी के भीतर रहने की क्षमता देती है, जिससे उनकी मारक क्षमता और रणनीतिक महत्व दोनों बढ़ जाते हैं।
निर्माण भारत में, भविष्य भारत का
इस साझेदारी का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि निर्माण कार्य पूरी तरह भारत में किया जाएगा। इससे देश में रक्षा उत्पादन का स्थानीयकरण होगा और तकनीकी ज्ञान भी भारतीय कंपनियों और इंजीनियरों तक पहुंचेगा। इस फैसले को केवल एक रक्षा सौदा मानना इसकी सीमित व्याख्या होगी। यह निर्णय भारत की समुद्री रणनीति, तकनीकी आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा में दीर्घकालिक निवेश का संकेत देता है।
इस पनडुब्बी निर्माण को लेकर आगे की राह
रक्षा मंत्रालय का लक्ष्य है कि आने वाले छह महीनों में बातचीत पूरी कर ली जाए और फिर अंतिम अनुबंध को मंजूरी दी जाए। इसके बाद पनडुब्बी निर्माण का कार्य प्रारंभ होगा, जो आने वाले वर्षों में भारतीय नौसेना को एक नई शक्ति देगा।
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