यूपी में 'जमीन-संपत्ति' को लेकर ये 6 बड़े फैसले

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने जमीन और संपत्ति से जुड़े मामलों में पारदर्शिता, सुरक्षा और सरलता लाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। प्रदेश के नागरिकों के लिए यह निर्णय न केवल एक तकनीकी सुधार है, बल्कि यह न्यायिक और प्रशासनिक व्यवस्था में विश्वास बहाल करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल भी है।

1 .स्टाम्प पेपर अब एटीएम से

अब लोगों को स्टाम्प पेपर के लिए दलालों या लंबी लाइनों की जरूरत नहीं पड़ेगी। बैंक एटीएम की तरह विशेष मशीनों से 10, 20, 50 और 100 रुपये के स्टाम्प पेपर निकाले जा सकेंगे। यह सुविधा उन लोगों के लिए बड़ी राहत होगी, जो छोटे लेन-देन के लिए समय बर्बाद नहीं करना चाहते। इससे फर्जीवाड़े की संभावनाएं भी खत्म होंगी और लगभग 800 करोड़ रुपये की सालाना बिक्री का पूरा रिकॉर्ड पारदर्शी होगा।

2 . किरायेदारी समझौतों के लिए निर्धारित शुल्क

सरकार अब किरायेदारी समझौतों को सरल और किफायती बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ रही है। चार प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी के कारण अब तक ज्यादातर किरायेदारी समझौते अपंजीकृत रह जाते थे, जिससे कानूनी विवाद उत्पन्न होते थे। सरकार द्वारा प्रस्तावित 500 से 1000 रुपये के निश्चित शुल्क से मकान मालिक और किरायेदार दोनों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी।

3 . क्यूआर कोड आधारित संपत्ति सत्यापन

संपत्ति खरीदने से पहले अब कोई भी व्यक्ति क्यूआर कोड स्कैन कर संपत्ति का पूरा इतिहास जान सकेगा। जमीन का मालिक कौन है, पहले कितने लेन-देन हुए हैं, और विक्रेता की कानूनी स्थिति क्या है। यह एक अत्यंत आधुनिक और पारदर्शी प्रणाली होगी, जिससे ठगी और फर्जी दस्तावेजों का खतरा कम हो जाएगा।

4 .राजस्व रिकॉर्ड से सीधा जुड़ाव

पंजीकरण के तुरंत बाद अब खरीदार का नाम राजस्व रिकॉर्ड में भी दर्ज हो सकेगा। अभी तक इसमें 35 से 40 दिन लगते हैं, जिससे कई बार खरीदारों को अनावश्यक कानूनी या प्रशासनिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पंजीकरण कार्यालयों में राजस्व अधिकारी की तैनाती इस प्रक्रिया को और तेज और भरोसेमंद बनाएगी।

5 .पारिवारिक संपत्ति विवादों का सरल समाधान

पांच हजार रुपये के निश्चित शुल्क पर चार पीढ़ियों तक की संपत्ति के निपटान की योजना, पारिवारिक विवादों के समाधान की दिशा में एक प्रगतिशील सोच को दर्शाती है। इससे अदालतों का बोझ भी घटेगा और परिवारों में तनाव भी कम होगा।

6 .डिजिटलीकरण और प्रक्रियाओं का सरलीकरण

राज्य सरकार पंजीकरण कार्यालयों को अब पासपोर्ट सेवा केंद्रों की तर्ज पर आधुनिक बना रही है। भूमि रिकॉर्ड का तेजी से डिजिटलीकरण किया जा रहा है, जिससे कोई भी नागरिक आसानी से ऑनलाइन जानकारी प्राप्त कर सकेगा। वहीं, स्टाम्प शुल्क की गणना के लिए मौजूद 42 जटिल मानदंडों को घटाकर 18-20 किया जाएगा। इससे हर व्यक्ति को यह स्पष्ट रूप से समझ में आएगा कि किस प्रकार की संपत्ति पर कितना शुल्क लगेगा।

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