मामला क्या था?
देवरिया की चंदा देवी के पिता, संपूर्णानंद पांडेय, जो पूर्व प्राथमिक विद्यालय गजहड़वा में सहायक अध्यापक के पद पर थे, 2014 में सेवा के दौरान निधन हो गए। उनके निधन के बाद चंदा देवी ने अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति हेतु आवेदन किया, लेकिन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दिसंबर 2016 में उनके आवेदन को यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि वे विवाहित हैं और शासनादेश के अनुसार विवाहित बेटियां अनुकंपा नियुक्ति के पात्र नहीं हैं।
हाईकोर्ट की क्या राय थी?
चंदा देवी ने इस निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। एकलपीठ ने उनकी याचिका मई 2025 में खारिज कर दी। एकलपीठ का मानना था कि चंदा देवी ने यह साबित नहीं किया कि उनके पति बेरोजगार हैं और वे अपने पिता पर आश्रित थीं। साथ ही, पिता के निधन को लगभग 11 वर्ष बीत चुके थे, इसलिए यह दावा अब विचार योग्य नहीं था। लेकिन चंदा देवी ने इस फैसले के खिलाफ विशेष अपील दाखिल की, जिस पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने सुनवाई की।
खंडपीठ का फैसला और निर्देश
खंडपीठ ने कहा कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने आवेदन को केवल इस आधार पर खारिज किया कि चंदा देवी विवाहित है, जबकि पिता पर निर्भरता का तथ्य जांचना आवश्यक था। इसलिए एकलपीठ द्वारा निर्भरता न साबित होने का तर्क सही नहीं था। खंडपीठ ने स्मृति विमला श्रीवास्तव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के फैसले का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि विवाहित बेटी होना अनुकंपा नियुक्ति में बाधा नहीं बन सकता।
साथ ही, खंडपीठ ने यह भी कहा कि याची ने आवेदन खारिज होने के तुरंत बाद अदालत का रुख किया था, इसलिए देरी के कारण उन्हें लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। इस फैसले के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, देवरिया को निर्देश दिया है कि वे चंदा देवी के आवेदन पर पुनः विचार करें और आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लें।
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