हाइपरसोनिक तकनीक में भारत की छलांग, चीन की चिंता बढ़ी!

नई दिल्ली — भारत ने हाइपरसोनिक तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए हाल ही में ऐसी मिसाइल का सफल परीक्षण किया है जो ध्वनि की गति से आठ गुना तेज यानी माक 8 की रफ्तार से उड़ सकती है और 1,500 किलोमीटर तक सटीक वार करने में सक्षम है। यह उपलब्धि भारत की रक्षा शक्ति और रणनीतिक क्षमता में ऐतिहासिक उन्नति मानी जा रही है।

डिफेंस विशेषज्ञों के अनुसार, यह मिसाइल न केवल गति और दूरी के लिहाज से प्रभावशाली है, बल्कि इसमें दिशा नियंत्रण और उच्च स्तरीय टारगेटिंग क्षमताएं भी मौजूद हैं। इसका सफल परीक्षण चीन समेत उन देशों के लिए चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है जो दक्षिण एशिया में सामरिक दबदबा बनाकर रखना चाहते हैं।

स्क्रैमजेट इंजन का ऐतिहासिक परीक्षण

हाइपरसोनिक तकनीक को आगे ले जाने में भारत ने स्क्रैमजेट इंजन का 1,000 सेकंड से भी अधिक समय तक सफल परीक्षण कर एक और मील का पत्थर छू लिया है। यह इंजन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की नींव होता है, और इसके दीर्घकालिक परीक्षण से यह सिद्ध होता है कि भारत अब स्वदेशी रूप से इस तकनीक को आत्मसात कर चुका है।

भारत की उन्नत परियोजनाएँ: HSTDV और ब्रह्मोस-II

भारत की हाइपरसोनिक क्षमताओं को आकार देने में दो प्रमुख परियोजनाएं विशेष उल्लेखनीय हैं: HSTDV (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) – DRDO द्वारा विकसित यह प्रौद्योगिकी डेमॉन्स्ट्रेटर, भारत की दीर्घकालिक हाइपरसोनिक कार्यक्रम का आधार है। इसके ज़रिए भारत स्क्रैमजेट आधारित मिसाइल प्रणालियों को विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

वहीं, ब्रह्मोस-II – भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से विकसित की जा रही यह मिसाइल ब्रह्मोस की अगली पीढ़ी है। ब्रह्मोस-II की गति को माक 7 तक ले जाने की योजना है, जिससे यह दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइलों में से एक बन जाएगी।

वैश्विक रणनीति में भारत की स्थिति मज़बूत

भारत की यह प्रगति ऐसे समय पर आई है जब हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश पहले से ही प्रतिस्पर्धा में लगे हैं। चीन की चिंताओं का मुख्य कारण यह है कि भारत की हाइपरसोनिक मिसाइलें अत्यधिक गतिशील और अत्याधुनिक रडार-चकमा देने में सक्षम हैं, जिससे पारंपरिक रक्षा प्रणालियाँ बेअसर हो सकती हैं।

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