केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी, पढ़ें पूरी डिटेल

नई दिल्ली। देश के लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक राहतभरी खबर सामने आई है। अब सरकारी कर्मचारियों की तलाकशुदा और विधवा बेटियों को भी परिवार पेंशन का लाभ मिलेगा, बशर्ते वे कुछ तय शर्तों को पूरा करती हों। यह कदम उन महिलाओं के लिए एक आर्थिक सहारा साबित हो सकता है जो किसी कारणवश अकेली रह गई हैं और अपने जीवन यापन के लिए माता-पिता पर आश्रित रही हैं।

क्या है नया नियम?

केंद्र सरकार ने सेंट्रल सिविल सर्विस (पेंशन) नियम, 2021 और उसमें 2022 में किए गए संशोधन के जरिए यह स्पष्ट किया है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी या पेंशनर की मृत्यु हो जाती है, और उनके पीछे जीवनसाथी, पात्र पुत्र या पुत्री नहीं हैं, तो परिवार पेंशन अगली श्रेणी के लाभार्थियों को दी जाएगी। इस श्रेणी में अविवाहित, तलाकशुदा और विधवा बेटियां शामिल हैं।

किन शर्तों पर मिलेगा लाभ?

हालांकि, इस पेंशन का लाभ स्वतः नहीं मिलता, इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तें तय की गई हैं:

1 .आश्रित होना जरूरी: बेटी को यह लाभ तभी मिलेगा जब वह अपने माता-पिता पर आर्थिक रूप से आश्रित रही हो।

2 .आयु सीमा का बंधन नहीं: यदि शर्तें पूरी होती हैं तो यह लाभ 25 वर्ष की उम्र के बाद भी आजीवन दिया जा सकता है।

3 .दुबारा शादी या जीविका शुरू करना: पेंशन तब तक दी जाएगी जब तक कि लाभार्थी बेटी दोबारा शादी नहीं कर लेती या अपनी जीविका स्वयं कमाना शुरू नहीं कर देती।

4 .तलाक या विधवा होने की स्थिति: तलाकशुदा बेटी को तभी पेंशन का अधिकार मिलेगा जब तलाक माता-पिता के जीवित रहते हुआ हो, या तलाक का केस माता-पिता के जीवनकाल में ही कोर्ट में दायर किया गया हो। विधवा बेटी को तभी पेंशन मिलेगी जब उसके पति की मृत्यु माता-पिता के जीवित रहते हुई हो।

5 .मृत्यु या रिटायरमेंट के बाद तलाक/विधवा हुई बेटियों को पेंशन नहीं: यदि बेटी का तलाक या विधवा होना माता-पिता की मृत्यु के बाद होता है, तो वह इस पेंशन के लिए पात्र नहीं मानी जाएगी।

रक्षा और रेलवे कर्मचारियों पर भी लागू होंगे नियम

यह नया प्रावधान केवल केंद्रीय सिविल कर्मचारियों तक ही सीमित नहीं है। यह नियम रेलवे और रक्षा सेवाओं के कर्मचारियों और पेंशनर्स पर भी समान रूप से लागू किया गया है। इससे बड़ी संख्या में परिवारों को राहत मिलेगी, खासकर उन महिलाओं को जो जीवन में अकेली रह गई हैं और जिन्हें सामाजिक व आर्थिक सहयोग की आवश्यकता होती है।

क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?

देश में हजारों महिलाएं विभिन्न कारणों से तलाकशुदा या विधवा हो जाती हैं और यदि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं होतीं, तो उनके लिए जीवन यापन करना कठिन हो जाता है। माता-पिता की सरकारी सेवा के चलते उन्हें जो सुरक्षा मिल सकती थी, वह अब तक कानूनी पेचीदगियों के कारण अधूरी रह जाती थी। अब इस स्पष्ट नीति के तहत न सिर्फ पारदर्शिता आएगी, बल्कि पात्र महिलाओं को समय पर पेंशन मिलना भी सुनिश्चित होगा। यह न केवल एक आर्थिक सहारा है, बल्कि एक सम्मानजनक जीवन की ओर बढ़ाया गया कदम है।

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