क्या कहता है रिपोर्ट?
संसद के एक स्थायी समिति द्वारा पेश की गई रिपोर्ट “Review of Functioning of Recruitment Organisations of Government of India” के अनुसार, 2011 से 2020 के बीच इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों की IAS/IPS जैसी सेवाओं में हिस्सेदारी 46% से बढ़कर 65% तक पहुँच गई है। वहीं, मेडिकल छात्रों की संख्या 14% से घटकर मात्र 4% रह गई, और ह्यूमैनिटीज से आने वाले उम्मीदवार 27% से घटकर 23% तक सिमट गए।
2017 से 2021 के आंकड़ों को देखें तो लगभग 76% सफल अभ्यर्थी विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों से थे, जबकि केवल 23.6% ह्यूमैनिटीज से। इसी तरह 2009 से 2019 के बीच इंजीनियरों की भागीदारी 31% से बढ़कर 63% हो गई, जबकि आर्ट्स बैकग्राउंड वालों का प्रतिनिधित्व 44% से घटकर 24% तक आ गया।
इस बदलाव की वजहें
साल 2011 में जब UPSC ने CSAT (Civil Services Aptitude Test) को प्रारंभिक परीक्षा का हिस्सा बनाया। इस परीक्षा में गणितीय तर्क, विश्लेषणात्मक क्षमता और अंग्रेजी समझ जैसे घटकों पर ज़ोर दिया गया, जो इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए तुलनात्मक रूप से आसान साबित हुए। वहीं, ह्यूमैनिटीज के छात्रों के लिए यह एक नई चुनौती बन गया।
साथ ही, IITs, NITs और अन्य तकनीकी संस्थानों से पढ़े हुए छात्र अब IAS की ओर रुख कर रहे हैं, इन संस्थानों के छात्र जो पहले कॉर्पोरेट क्षेत्र या विदेशों में करियर तलाशते थे। लेकिन अब ये UPSC की और आकर्षित हो रहे हैं। जिससे UPSC में इंजीनियरों की बाढ़ सी दिखाई दे रही हैं।
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