यूपी में जमीन रजिस्ट्री के नए नियम: पूरे प्रदेश में होंगे लागू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब संपत्ति की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़े की कोई संभावना न रहे, इसके लिए हर रजिस्ट्री दस्तावेज पर क्यूआर कोड अनिवार्य किया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य संपत्ति के स्वामित्व और लेन-देन की प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल व सत्यापन योग्य बनाना है।

क्या है नया सिस्टम?

राज्य सरकार की योजना के तहत अब हर रजिस्ट्री के प्रत्येक पृष्ठ पर एक यूनिक क्यूआर कोड छपा होगा। इस कोड को कोई भी व्यक्ति स्मार्टफोन या स्कैनर की मदद से स्कैन कर सकता है। स्कैन करते ही उस संपत्ति से जुड़ी अहम जानकारियां जैसे: संपत्ति का मालिक कौन है, संपत्ति का पूरा विवरण, पिछला लेन-देन, क्या विक्रेता उस पूरी जमीन को बेचने का कानूनी अधिकारी है या नहीं, जैसी जानकारियां सामने आ जाएंगी।

वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजना

फिलहाल यह व्यवस्था राज्य के कुछ चुनिंदा पंजीकरण कार्यालयों में लागू की गई है, लेकिन स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन मंत्री रवींद्र जायसवाल के अनुसार जल्द ही इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। इससे हर स्तर पर रजिस्ट्री प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और जालसाजी की घटनाएं काफी हद तक रुक सकेंगी।

मालिकाना हक मिलने में नहीं लगेगा समय

एक और बड़ी घोषणा यह भी है कि अब रजिस्ट्रेशन के बाद राजस्व रिकॉर्ड में खरीदार का नाम तुरंत अपडेट किया जाएगा। वर्तमान व्यवस्था में यह प्रक्रिया 35 से 40 दिन तक खिंच जाती है, जिससे खरीदारों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

सरकार की योजना है कि रजिस्ट्रेशन कार्यालयों में ही राजस्व अधिकारी तैनात किए जाएं, जो रजिस्ट्री प्रक्रिया के समय ही संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रिकॉर्ड को अपडेट कर दें। इससे खरीदार को रजिस्ट्री के साथ ही कानूनी मालिकाना हक मिल जाएगा।

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