सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा
प्राचीन ग्रंथों और ऋषियों की परंपरा में कहा गया है कि ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देना विशेष फलदायी होता है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक प्रक्रिया भी है। सुबह की पहली धूप शरीर में विटामिन D का भी संचार करती है, वहीं जल के माध्यम से सूर्य की किरणें आंखों और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
कौन-सा मंत्र बोलें?
शास्त्रों के अनुसार जब आप सूर्य को अर्घ्य दें, तो यह मंत्र अवश्य बोलें: "ॐ घृणिः सूर्याय नमः" इस मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य को जल चढ़ाना शुभ माना जाता है। 'घृणिः' का अर्थ होता है तेज या प्रकाश, और 'सूर्याय नमः' यानी सूर्य देव को नमन।
कैसे करें अर्घ्य:
तांबे के लोटे में स्वच्छ जल लें (सामर्थ्य हो तो उसमें लाल फूल, चावल या रोली मिलाएं)।
पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े हों।
हाथ जोड़कर मंत्र का उच्चारण करें - “ॐ घृणिः सूर्याय नमः”
धीरे-धीरे जल अर्पित करें, ताकि वह सूर्य की किरणों के बीच से होकर गुज़रे।
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