कर्ज से हिलती अमेरिकी अर्थव्यवस्था, ट्रंप की चिंता बढ़ी

न्यूज डेस्क। अमेरिका, जिसे दुनिया लंबे समय से आर्थिक महाशक्ति के तौर पर देखती आई है, अब अपने ही बनाए कर्ज़ के जाल में फंसता नजर आ रहा है। जहां एक ओर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका को "फिर से महान" बनाने का संकल्प दोहरा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश की आर्थिक हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। हालात इतने नाजुक हो गए हैं कि केवल कर्ज़ के ब्याज का भुगतान ही अब अमेरिकी बजट में एक बड़ा हिस्सा खा रहा है।

रिकॉर्ड तोड़ कर्ज़ और ब्याज का बोझ

वित्त वर्ष 2025 के पहले 10 महीनों में अमेरिका को अपने कर्ज़ के ब्याज के रूप में 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च करने पड़े हैं जो अमेरिकी इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी राशि है। और ये सिलसिला यहीं नहीं थमता। पिछले 12 महीनों में ब्याज भुगतान की राशि बढ़कर 1.2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गई है, और यह पहली बार है जब अमेरिका इस स्तर तक पहुंचा है।

आज स्थिति यह है कि अमेरिकी सरकार का सबसे बड़ा खर्च सोशल सिक्योरिटी (1.5 ट्रिलियन डॉलर) है, और उसके बाद ब्याज भुगतान (1.2 ट्रिलियन डॉलर)। डिफेंस और हेल्थकेयर जैसे अहम क्षेत्रों पर अमेरिका इससे कम खर्च कर रहा है $900-$900 अरब। यह रुझान न केवल खतरनाक है, बल्कि आने वाले समय में अमेरिका की आर्थिक नीतियों और सामाजिक योजनाओं पर भी सीधा असर डाल सकता है।

अमेरिका बनाम बाकी दुनिया

जब अमेरिका की तुलना अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से की जाती है, तब संकट और भी साफ दिखाई देता है। अमेरिका की जीडीपी $30.51 ट्रिलियन है, जबकि उसका कुल कर्ज़ $37.95 ट्रिलियन के पार जा चुका है। इसके मुकाबले चीन की जीडीपी $19.23 ट्रिलियन और कर्ज़ $16.98 ट्रिलियन है, वहीं भारत की जीडीपी $4.19 ट्रिलियन है और कर्ज़ $3.41 ट्रिलियन। यानी अमेरिका का कर्ज़ उसकी जीडीपी से काफी ऊपर है, जबकि भारत और चीन जैसे देशों में यह अनुपात अभी भी तुलनात्मक रूप से बेहतर स्थिति में है।

बजट घाटा भी रिकॉर्ड पर

केवल कर्ज़ ही नहीं, अमेरिका का बजट घाटा भी चिंता का विषय बना हुआ है। जुलाई 2025 में यह घाटा 291 अरब डॉलर तक पहुंच गया। पूरे वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में यह 1.63 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया  जो अमेरिका के इतिहास का तीसरा सबसे बड़ा बजट घाटा है।

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