बच्चों की सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं
मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि बच्चों की सुरक्षा के मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शासन स्तर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि यदि किसी जर्जर इमारत के कारण कोई दुर्घटना होती है, तो उस क्षेत्र के जिम्मेदार अधिकारी को सीधे तौर पर उत्तरदायी मानते हुए कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी। यह संदेश साफ है कि अब लापरवाही का कोई स्थान नहीं है।
जिलों को समयबद्ध कार्रवाई के निर्देश
बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी जिलाधिकारियों और शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों के भवनों का निरीक्षण कर तत्काल जर्जर ढांचों की सूची तैयार करें। इस सूची को तकनीकी समिति को सौंपकर भवनों का परीक्षण और मूल्यांकन कराया जाएगा, ताकि यह तय हो सके कि कौन-से भवन तत्काल ध्वस्त किए जाने योग्य हैं।
जवाबदेही तय, टालमटोल पर सख्ती
इस अभियान की खास बात यह है कि हर स्तर पर जवाबदेही तय की जा रही है। यदि किसी जिले में यह कार्य समय पर नहीं होता है या किसी कारण से रिपोर्ट में देरी होती है, तो जिम्मेदार अधिकारियों को इसका जवाब देना होगा। शासन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी बच्चा या शिक्षक किसी भी प्रकार के असुरक्षित ढांचे में पढ़ाई या कार्य करने को मजबूर न हो।
पूर्व में चिन्हित भवनों पर भी कार्रवाई
जो भवन पहले ही जर्जर घोषित किए जा चुके हैं, उन्हें लेकर भी शासन गंभीर है। उन्हें लेकर पुनः मूल्यांकन के निर्देश दिए गए हैं ताकि यह देखा जा सके कि वे अब भी खतरनाक स्थिति में हैं या नहीं। यदि हां, तो उनके ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।
0 comments:
Post a Comment