क्या है इस फैसले की खास बात?
NPS और UPS दोनों ही पेंशन योजनाएं हैं, लेकिन इनके स्वरूप और लाभ में काफी अंतर है। NPS एक कॉन्ट्रिब्यूटरी पेंशन स्कीम है, जहां कर्मचारी और सरकार दोनों योगदान करते हैं, और पेंशन की राशि बाजार के निवेश पर निर्भर करती है। दूसरी ओर, UPS गैर-योगदान आधारित एक निश्चित पेंशन योजना है, जो कर्मचारी को एक निश्चित पेंशन राशि प्रदान करती है, जिसे वह अधिक सुरक्षित मानते हैं।
सरकार ने इस बदलाव को पूरी तरह से स्वैच्छिक रखा है, जिससे कर्मचारी अपनी सुविधा और सुरक्षा के आधार पर योजना चुन सकें। यह सुविधा उन कर्मचारियों के लिए बेहद लाभकारी साबित होगी, जो पहले NPS में थे लेकिन UPS के स्थिर और निश्चित पेंशन लाभ को प्राथमिकता देना चाहते हैं।
स्विच की प्रक्रिया और शर्तें
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि इस वन-टाइम स्विच का उपयोग कर्मचारी रिटायरमेंट से एक साल पहले तक कर सकते हैं। यदि कोई कर्मचारी स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेना चाहता है, तो वह रिटायरमेंट की अनुमानित तिथि से तीन महीने पहले यह विकल्प चुन सकता है। हालांकि, कुछ शर्तें भी हैं जैसे कि अगर कोई कर्मचारी दंड के रूप में हटाया गया हो, बर्खास्त किया गया हो, या उस पर अनुशासनात्मक कार्यवाही चल रही हो, तो उसे इस सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?
UPS में मिलने वाली पेंशन निश्चित और बिना बाजार जोखिम के होती है, इसलिए इसे अधिक सुरक्षित माना जाता है। दूसरी ओर, NPS में पेंशन की राशि बाजार की उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है, जिससे पेंशनधारकों को अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए, यह स्विच सुविधा उन कर्मचारियों को स्थिरता और मन की शांति प्रदान करती है, जो अपने भविष्य की पेंशन को लेकर चिंतित हैं। साथ ही, यह सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जो वह कर्मचारियों के हित में सुधार के लिए कर रही है।
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