पतंजलि और सरकार की साझेदारी
सरकार ने इस योजना को व्यापक रूप देने के लिए पतंजलि योगपीठ के साथ साझेदारी की है। हरिद्वार में उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता और पतंजलि के सह-संस्थापक आचार्य बालकृष्ण के बीच हुई बैठक में यह तय हुआ कि गोशालाओं को केवल पशु संरक्षण केंद्र के रूप में नहीं, बल्कि ग्रामीण उद्योगों के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। इस पहल के तहत गो आधारित उत्पादों जैसे पंचगव्य, गोमूत्र, गोबर से बनी वस्तुएंके निर्माण और बायोगैस संयंत्रों की स्थापना पर ज़ोर दिया जाएगा।
आदर्श गोशालाएं: गांवों में बदलाव के केंद्र
योजना के तहत प्रदेश के 75 जिलों में 2 से 10 गोशालाओं को आदर्श मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां आधुनिक संरचना जैसे खुले शेड, सुरक्षा व्यवस्था और मुक्त आवाजाही के लिए बाड़ स्थापित की जाएगी। इन गोशालाओं को ग्रामीण उत्पादन, प्रशिक्षण और स्वरोजगार का केंद्र बनाया जाएगा।
रोजगार का नया मॉडल: ग्रामीण भागीदारी
इस पहल में ग्रामीणों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित की गई है। पंचगव्य उत्पादों के निर्माण और गोमूत्र के संग्रह में स्थानीय लोगों को शामिल किया जाएगा, जिसमें उन्हें 50% तक का कमीशन मिलेगा। इससे गांव के युवाओं और महिलाओं को अपने ही गांव में रोजगार मिलेगा, जिससे शहरों की ओर पलायन भी रुकेगा।
तकनीकी सहयोग और गुणवत्ता नियंत्रण
पतंजलि योगपीठ न केवल प्रशिक्षण देगा, बल्कि उत्पादों की गुणवत्ता, लाइसेंसिंग और प्रमाणीकरण में भी सहयोग करेगा। इससे ग्रामीण स्तर पर बनने वाले उत्पाद बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे, जिससे इनकी आर्थिक उपयोगिता बढ़ेगी।
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