हड़ताल की वजहें और अमीनों की मांगें
विशेष सर्वेक्षण अमीनों की बहाली संविदा के आधार पर हुई थी। वर्षों से काम कर रहे ये अमीन अब अपनी सेवा को नियमित करने, वेतन में सुधार और अन्य सेवा शर्तों में बदलाव सहित पाँच सूत्री मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। उनका आरोप है कि सरकार उनसे स्थायी कर्मियों की तरह काम तो करवा रही है, लेकिन अधिकार और सुरक्षा नहीं दे रही।
हड़ताल के खिलाफ कार्रवाई
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस हड़ताल को राजस्व महाअभियान में बाधा मानते हुए कड़ा रुख अपनाया है। विभाग ने आंदोलनरत अमीनों के लॉगिन अकाउंट बंद करने, कार्यालयों में प्रवेश पर रोक और सरकारी कार्यों से वंचित करने जैसे कदम उठाए हैं। साथ ही, यह संकेत भी दिया गया है कि सरकार अब इन संविदा अमीनों की सेवा समाप्त कर नए सिरे से बहाली की प्रक्रिया शुरू करने पर विचार कर रही है।
विश्वासघात का आरोप
हड़ताल की टाइमिंग ने सरकार को और अधिक नाराज कर दिया है। 14 अगस्त को हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में अमीन संघ के प्रतिनिधियों ने सरकार को आश्वासन दिया था कि वे हड़ताल पर नहीं जाएंगे और अभियान में सहयोग करेंगे। इसके बावजूद 17 अगस्त से अमीन अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। इससे सरकार ने इसे "जनहित के साथ धोखा" करार दिया है।
जनता पर असर
राजस्व महाअभियान के तहत हर पंचायत में कैंप लगाए जा रहे हैं, जिनमें आम लोगों की भूमि संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। अमीनों की अनुपस्थिति के कारण कागजातों की जाँच और भूमि सीमांकन जैसे तकनीकी कार्य ठप पड़ने लगे हैं। इसका सीधा असर आम नागरिकों पर पड़ रहा है, जो वर्षों से भूमि विवादों और दाखिल-खारिज की समस्याओं से जूझ रहे हैं।
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