बिहार में आ रही 'लाइब्रेरियन' की बड़ी भर्ती, हो जाएं तैयार!

पटना। बिहार में सरकारी नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के अंतर्गत लाइब्रेरियन के हजारों रिक्त पदों पर भर्ती को स्वीकृति दे दी है। लगभग 14 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद यह बहाली की प्रक्रिया दोबारा शुरू की जा रही है। पिछली बार यह नियुक्ति वर्ष 2011-12 में हुई थी और अब 2025 में एक बार फिर से लाइब्रेरी साइंस की पढ़ाई कर चुके युवाओं के लिए सरकारी सेवा का द्वार खुलने जा रहा है।

यह बहाली बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के माध्यम से कराई जाएगी। जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने सभी जिलों से रिक्त पदों की सूचना मंगवा ली है और प्रारंभिक क्लीयरेंस के बाद अब यह विवरण बीपीएससी को भेजा जा रहा है। इसके बाद आयोग द्वारा भर्ती का आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा और ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। अनुमान है कि इस बार करीब 6500 पदों के लिए भर्ती की जाएगी, हालांकि प्रारंभिक चरण में 4000 पदों पर नियुक्ति की संभावना जताई जा रही है।

इस भर्ती के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से पुस्तकालय विज्ञान (लाइब्रेरी साइंस) में स्नातक होना आवश्यक है। सामान्य श्रेणी के लिए न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक अनिवार्य हैं, जबकि आरक्षित वर्गों, महिलाओं और दिव्यांग अभ्यर्थियों को 40 प्रतिशत अंकों की छूट दी जाएगी। इसके अतिरिक्त, उम्मीदवार को पात्रता परीक्षा पास करना भी जरूरी होगा, जिसकी जानकारी आयोग द्वारा अलग से दी जाएगी।

आयु सीमा को लेकर भी नए नियम लागू किए जा रहे हैं। सामान्यतः न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष निर्धारित की गई है, वहीं अधिकतम आयु सीमा में सरकार द्वारा 10 वर्षों की छूट दी जाएगी। महिलाओं को इस भर्ती प्रक्रिया में विशेष प्राथमिकता दी जा रही है और कुल पदों में से 35 प्रतिशत सीटें उनके लिए आरक्षित हो सकती हैं। यह कदम राज्य सरकार द्वारा लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है।

भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और लिखित परीक्षा के माध्यम से की जाएगी। बीपीएससी द्वारा निर्धारित परीक्षा तिथि, पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न की घोषणा जल्द ही नोटिफिकेशन के साथ की जाएगी। खास बात यह है कि इस बार बहाली में डोमिसाइल नीति भी लागू की जाएगी, जिसका अर्थ है कि बिहार राज्य के स्थायी निवासियों को प्राथमिकता मिलेगी। इससे राज्य के युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त होंगे और बाहर के प्रतियोगियों की तुलना में उन्हें वरीयता दी जाएगी।

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