अमेरिका-रूस के बराबर भारत की ये 4 तकनीक, चीन सन्न!

नई दिल्ली। भारत ने बीते कुछ वर्षों में रक्षा और अंतरिक्ष तकनीक के क्षेत्र में जिस तेज़ी से प्रगति की है, उसने विश्व शक्तियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। अमेरिका और रूस जैसे तकनीकी महाशक्तियों के समकक्ष खड़े होने की क्षमता अब भारत के पास मौजूद है। स्पेस टेक्नोलॉजी से लेकर लेजर हथियारों तक कई क्षेत्रों में भारत ने ऐसी उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जिन्हें देखकर चीन भी चिंतित हो उठा है।

1. स्पेस टेक्नोलॉजी: अंतरिक्ष में मजबूती का नया दौर

इसरो ने हाल के वर्षों में कई ऐसे मिशन पूरे किए हैं, जिन्हें केवल अमेरिका, चीन और रूस जैसे चुनिंदा देश ही अंजाम दे पाए हैं। चंद्रयान-3 की सफलता, सूर्य पर्यवेक्षण मिशन आदित्य-एल1, मंगल मिशन और विश्वसनीय लॉन्च व्हीकल तकनीक ने भारत को अंतरिक्ष शक्ति के शीर्ष देशों में शामिल कर दिया है।

2. एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (ASAT): अंतरिक्ष में सुरक्षा

2019 में ‘मिशन शक्ति’ के सफल परीक्षण के बाद भारत उन कुछ देशों की सूची में शामिल हो गया, जो दुश्मन के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ही निशाना बना सकते हैं। यह क्षमता अब तक अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के पास थी। ASAT तकनीक भारत की सामरिक सुरक्षा को अत्यंत मजबूत बनाती है।

3. हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक: गति से आगे

हाइपरसोनिक तकनीक पर काम करने वाले चुनिंदा देशों में भारत का नाम तेजी से उभर रहा है। भारत ने हाइपरसोनिक टेस्ट डिमॉन्स्ट्रेशन व्हीकल (HSTDV) के सफल परीक्षण के बाद यह स्पष्ट कर दिया कि वह भविष्य की मिसाइल क्षमता विकसित करने में सक्षम है।

4. लेजर वेपन सिस्टम: भविष्य का युद्ध

भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) भविष्य की लड़ाइयों के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन लेजर हथियारों की खासियत यह है कि इन्हें रोका जाना बेहद मुश्किल है और ये बेहद सटीक निशाना साधते हैं। ड्रोन, मिसाइल और छोटे हवाई लक्ष्यों को पलक झपकते खत्म करने में ये सक्षम हैं।

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