नई व्यवस्था के मुख्य बिंदु
मुख्य सड़क के किनारे की भूमि की कीमत अलग तय होगी।
अंदर के भू-भाग या खेत-खलिहान की कीमत अलग होगी।
उपजाऊ और गैर-उपजाऊ भूमि के मूल्य में अंतर रहेगा।
व्यवसायिक और आवासीय भूमि के मूल्य अलग होंगे।
चौड़ी सड़क या अन्य विशेष आधार पर भूमि का मूल्य अलग से निर्धारित होगा।
उच्च स्तरीय बैठक में इस व्यवस्था को लागू करने पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है। वर्तमान में चकबंदी के समय भूमि का मूल्य अधिकतर अधिकारी और कर्मचारी अपने विवेकानुसार तय करते थे, जिससे किसानों को अक्सर अपेक्षित मुआवजा नहीं मिलता था।
किसानों के लिए पारदर्शिता
नई व्यवस्था के लागू होने के बाद किसानों को यह सुविधा मिलेगी कि वे खुद अपने भू-खंड का मूल्यांकन कर सकेंगे। यदि एक स्थान और दूसरी जगह पर भूमि का मूल्य अलग निकलता है, तो किसान अपील कर सकते हैं। इससे मनमाने मूल्य निर्धारण और उत्पीड़न की संभावनाएँ कम होंगी।
चकबंदी विभाग की नियमावली में सर्किल रेट की यह व्यवस्था शामिल की जाएगी। हर जिले में सड़क सुविधा और जमीन के प्रकार के अनुसार सर्किल रेट तय किए जाते हैं। अब इसी के आधार पर चकबंदी में भूमि का मूल्य निर्धारित होगा।
सरकारी अधिकारी की प्रतिक्रिया
चकबंदी आयुक्त हृषिकेश भास्कर याशोद ने बताया कि प्रदेश में यह नई व्यवस्था जल्द ही लागू की जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को यह शिकायत नहीं रहेगी कि उनकी सड़क किनारे की कीमती भूमि के एवज में उन्हें अपेक्षाकृत कम मूल्य की भूमि मिली।

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