यूपी में शिक्षकों को बड़ी राहत: 21 मई से गर्मी की छुट्टी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के शिक्षकों को इस गर्मी राहत की सौगात मिली है। योगी सरकार ने माध्यमिक स्कूलों में समर कैंप को लेकर उठे विवाद के बाद बड़ा फैसला लिया है। अब शिक्षकों के लिए समर कैंप में ड्यूटी देना अनिवार्य नहीं होगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से इस संबंध में स्पष्ट आदेश जारी कर दिए गए हैं।

गुरुवार को समग्र शिक्षा माध्यमिक के अपर राज्य परियोजना निदेशक विष्णुकान्त पाण्डेय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा के सात मई को जारी आदेश में भी यह साफ किया गया था कि 21 मई से 10 जून तक चलने वाले समर कैंप में केवल स्वेच्छा से भाग लेने वाले शिक्षकों को ही शामिल किया जाएगा।

उपार्जित अवकाश का मिलेगा लाभ

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो शिक्षक समर कैंप में भाग लेंगे, उन्हें नियमानुसार उपार्जित अवकाश (Earned Leave) दिया जाएगा। यानी स्वैच्छिक सेवा करने वाले शिक्षकों को इसका लाभ भी मिलेगा। इसको लेकर निर्देश दिए गए हैं।

विद्यार्थियों की भागीदारी भी स्वैच्छिक

समर कैंप में भाग लेने वाले छात्रों के लिए भी विशेष दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। विद्यालयों को 16 मई तक अभिभावकों से लिखित सहमति लेना अनिवार्य किया गया है। यह कदम विद्यार्थियों की सुरक्षा और सहमति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

क्यों हो रहा है समर कैंप का आयोजन?

यह पहली बार है जब यूपी के सरकारी और अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में समर कैंप आयोजित किए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों की तरह गर्मियों में जीवन कौशल, खेल, सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों के माध्यम से सीख सकें। समर कैंप के दौरान बच्चों को खोजी गतिविधियों, टीम वर्क, आत्मविश्वास, करियर गाइडेंस और खेलों के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी। 

शिक्षक संगठनों ने किया था विरोध

गौरतलब है कि पहले समर कैंप को लेकर शिक्षकों की ड्यूटी अनिवार्य करने की बात सामने आई थी, जिस पर शिक्षक संगठनों ने कड़ा विरोध जताया था। संगठनों का कहना था कि शिक्षकों को भी गर्मियों की छुट्टियों की आवश्यकता होती है। विरोध के बाद सरकार को अपने रुख में नरमी लानी पड़ी।

सरकार का रुख अब लचीला

नई गाइडलाइंस के अनुसार अब समर कैंप पूरी तरह स्वैच्छिक होंगे – न केवल शिक्षकों के लिए, बल्कि छात्रों के लिए भी। यह पहल जहां शिक्षा के नए प्रयोगों की ओर एक सकारात्मक कदम है, वहीं शिक्षकों की भावनाओं का भी सम्मान करती है।

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