यूपी में स्कूल नहीं आने वाले छात्रों पर सख्ती, कटेगा नाम!

लखनऊ– उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूलों में ड्रॉप आउट की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए बड़ा कदम उठाया है। राज्य के परिषदीय स्कूलों में अब छात्रों की लगातार अनुपस्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि कोई छात्र बिना कारण लगातार 30 दिन से अधिक स्कूल नहीं आता है, तो उसे "ड्रॉप आउट" की श्रेणी में रखा जाएगा। शासन ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।

गैरहाजिरी पर घर तक पहुंचेगा स्कूल

अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, किसी भी छात्र के तीन दिन लगातार स्कूल न आने पर ‘बुलावा टोली’ उनके घर जाकर संपर्क करेगी। यदि अनुपस्थिति छह दिन या उससे अधिक हो जाती है, तो स्कूल के प्रधानाध्यापक स्वयं अभिभावकों से मिलने उनके घर जाएंगे। छात्र के स्कूल लौटने तक नियमित फॉलोअप जारी रहेगा।

अभिभावकों की काउंसलिंग, विशेष कक्षाएं भी होंगी शुरू

राज्य सरकार ने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए "आउट ऑफ स्कूल" की नई परिभाषा भी लागू की है। इसके तहत वे छात्र जो कभी स्कूल में नामांकित नहीं हुए या 30 दिन से अधिक अनुपस्थित हैं और परीक्षा में 35 प्रतिशत से कम अंक लाते हैं, उन्हें ड्रॉप आउट माना जाएगा। ऐसे छात्रों के लिए विशेष रेमेडियल कक्षाएं चलाई जाएंगी। साथ ही, उनके माता-पिता की अभिभावक-शिक्षक बैठकों में काउंसलिंग की जाएगी।

उपस्थिति के सख्त मानदंड तय

एक माह में 6 दिन से अधिक अनुपस्थित

तिमाही में 10 दिन से ज्यादा गैरहाजिरी

छह माह में 15 दिन या अधिक अनुपस्थिति

सत्र में कुल 30 दिन से अधिक अनुपस्थिति

बता दें की उत्तर प्रदेश के सभी स्कूलों में ऐसे मामलों में छात्र को "अति संभावित ड्रॉप आउट" की श्रेणी में रखा जाएगा और परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। इसको लेकर सभी जिलों को निर्देश जारी किया गया हैं।

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