IVF से मां बनना अब आसान, जानें प्रक्रिया और खर्च

नई दिल्ली। बांझपन की समस्या से जूझ रहे दंपत्तियों के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक उम्मीद की नई किरण बनकर सामने आई है। तेजी से बढ़ती चिकित्सा तकनीक और विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता ने इस प्रक्रिया को पहले से कहीं ज्यादा सरल, सुरक्षित और प्रभावी बना दिया है।

क्या है IVF?

IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक ऐसी चिकित्सीय प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर लैब में निषेचित किया जाता है। इसके बाद विकसित भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह तकनीक उन दंपत्तियों के लिए वरदान साबित हुई है जो लंबे समय से संतान सुख से वंचित हैं।

प्रक्रिया कैसे होती है?

1 .अंडाणु उत्पादन की उत्तेजना: महिला को हार्मोनल दवाएं दी जाती हैं ताकि अंडाशय में अधिक अंडाणु बन सकें।

2 .अंडाणु निकासी (Egg Retrieval): इसके बाद डॉक्टर महिला के शरीर से अंडाणु निकालते हैं।

3 .शुक्राणु संग्रहण: अब पुरुष के शुक्राणुओं को संग्रहित किया जाता है।

4 .निषेचन (Fertilization): लैब में अंडाणु और शुक्राणु मिलाकर भ्रूण तैयार किया जाता है।

5 .भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo Transfer): सफल भ्रूण को महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है।

कितना आता है खर्च?

भारत में IVF का खर्च शहर, क्लिनिक और केस की जटिलता के आधार पर अलग-अलग होता है। औसतन एक IVF साइकिल का खर्च ₹1.2 लाख से ₹2.5 लाख के बीच होता है। यदि एक से अधिक साइकिल की जरूरत पड़े तो यह खर्च बढ़ सकता है। कई क्लीनिक पैकेज भी ऑफर करते हैं, जिनमें जांच, दवाएं और प्रक्रिया शामिल होती हैं।

सफलता की दर क्या है?

IVF की सफलता महिलाओं की उम्र और स्वास्थ्य पर भी निर्भर करती है। 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं में सफलता दर करीब 40-50% तक होती है। 35-40 की उम्र में यह दर घटकर 30-40% हो जाती है। 40 के बाद यह 20% तक रह जाती है।

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