इस विशेष अभियान के तहत राज्य में कुल 30.77 करोड़ रुपये की नकली दवाएं जब्त कर नष्ट की गईं। इन दवाओं में जानलेवा ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन, प्रतिबंधित नारकोटिक्स, और नकली कॉस्मेटिक उत्पाद भी शामिल थे।गौरतलब है कि यह कार्रवाई पिछले वर्ष की तुलना में दोगुनी प्रभावी रही है। वर्ष 2023-24 में जहां 15 करोड़ रुपये की नकली दवाएं जब्त की गई थीं, वहीं इस वर्ष यह आंकड़ा 30.77 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
आगरा, लखनऊ और गाजियाबाद बने कार्रवाई के हॉटस्पॉट
एफएसडीए की यह कार्रवाई राज्य के प्रमुख शहरों आगरा, लखनऊ और गाजियाबाद में सबसे प्रभावी रही। अकेले आगरा में ही वर्ष 2024 में 8 करोड़ रुपये की नकली दवाएं जब्त की गईं और 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इससे नकली दवा कारोबार की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
1,039 छापेमारी अभियान, हजारों नमूनों की जांच
एफएसडीए ने प्रदेशभर में 1,039 छापेमारी अभियान चलाए, जिनमें 13,848 दवा नमूने एकत्र किए गए। जांच में 96 नमूने पूरी तरह नकली और 497 अधोमानक (सब-स्टैंडर्ड) पाए गए। इसके अलावा 463 दवा निर्माण इकाइयों, 647 ब्लड बैंकों, और 10,462 विक्रय प्रतिष्ठानों का गहन निरीक्षण किया गया। इसके बाद 6 निर्माण इकाइयों और 5 ब्लड बैंकों के लाइसेंस भी निरस्त किए गए।
मुख्यमंत्री का निर्देश: "जीरो टॉलरेंस" नीति लागू
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस गंभीर मुद्दे को जनस्वास्थ्य से जुड़ा बताते हुए नकली दवाओं के खिलाफ "जीरो टॉलरेंस" नीति अपनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित दवाएं उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
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