मुख्यमंत्री ने इस बैठक में सुभासपा प्रमुख और कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की मौजूदगी में पंचायती राज विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर, पारदर्शी और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
ग्राम सचिवालय: ग्रामीण लोकतंत्र की नई पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायत भवनों को ‘ग्राम सचिवालय’ के रूप में पहचान देना पंचायतीराज व्यवस्था को नई दिशा और पहचान देने वाला ऐतिहासिक निर्णय है। उन्होंने बताया कि नीति आयोग ने भी ग्राम सचिवालय की इस अवधारणा को मॉडल के रूप में स्वीकार किया है, जिससे यह बदलाव राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मिसाल बन सकता है।
ग्राम पंचायतों में शुरू हो चुका है सचिवालय मॉडल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जानकारी दी कि प्रदेश की 57,695 ग्राम पंचायतों में ग्राम सचिवालय की स्थापना पहले ही की जा चुकी है। अब इन भवनों को एक व्यवस्थित, तकनीकी रूप से सक्षम और जवाबदेह प्रशासनिक इकाई के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि सचिवालयों में स्थापित कंप्यूटरों के माध्यम से पंचायत गेटवे पोर्टल से जुड़ी समस्त धनराशियों का भुगतान किया जाए, जिससे लेन-देन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित हो सके।
क्या बदलेगा इस फैसले से?
अब हर पंचायत भवन को ग्राम सचिवालय के रूप में विकसित किया जाएगा।
सभी ग्राम सचिवालयों में डिजिटल तकनीक का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित होगा।
प्रदेशभर में पारदर्शी और उत्तरदायी ग्रामीण शासन प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा।
पंचायतों को आर्थिक रूप से अधिक सक्षम और जवाबदेह बनाने में मदद मिलेगी।
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