दुनिया के 5 सबसे महंगे लड़ाकू विमान, एक भारत के पास!

नई दिल्ली: दुनिया की सैन्य ताकत अब सिर्फ सैनिकों की संख्या या हथियारों की गिनती पर नहीं, बल्कि उनकी तकनीकी क्षमता पर भी निर्भर करती है। आज के दौर में फाइटर जेट्स ही वह शक्ति हैं जो युद्ध के मैदान का रुख तय करते हैं। यही वजह है कि देश अपनी वायुसेना को आधुनिकतम लड़ाकू विमानों से लैस करने में अरबों डॉलर खर्च करने से भी नहीं हिचकते।

1. एफ-22 रैप्टर – कीमत: 143 मिलियन डॉलर

यह दुनिया का सबसे महंगा फाइटर जेट हैं, जो सिर्फ अमेरिका की वायुसेना के पास है। F-22 रैप्टर को 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर माना जाता है, जिसमें दुश्मन के रडार को चकमा देने की अद्भुत क्षमता है। इसकी गति, तकनीक और युद्ध कौशल इसे पूरी दुनिया में अव्वल बनाते हैं। इसकी कीमत भारतीय रुपये में लगभग 12 अरब रुपये बैठती है।

2. राफेल (Rafale) – कीमत: 135 मिलियन डॉलर

भारत द्वारा फ्रांस से खरीदा गया यह विमान न केवल महंगा है, बल्कि बेहद ताकतवर भी हैं। 36 राफेल विमान भारत ने खरीदे, जो आज लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर तक तैनात हैं। राफेल की बहुमुखी क्षमता, लंबी दूरी तक सटीक हमला और हवा से हवा तथा हवा से जमीन पर वार करने की शक्ति इसे बेहद घातक बनाती है। मिस्र, कतर और यूएई जैसे देश भी इस विमान में भारी रुचि दिखा चुके हैं।

3. युरोफाइटर टाइफून – कीमत: 117 मिलियन डॉलर

ब्रिटेन, जर्मनी, इटली और स्पेन की साझा परियोजना से बना यह 4.5 जेनरेशन फाइटर जेट अपनी तेज़ गति और बेहतरीन डॉगफाइटिंग क्षमता के लिए जाना जाता है। इसका थ्रस्ट टू वेट रेशियो 1:1 है, जो इसे युद्ध के दौरान ज्यादा चुस्त-दुरुस्त बनाता है। प्रोजेक्ट से जुड़े देशों के लिए इसकी कीमत भले ही कम हो, लेकिन एक्सपोर्ट मार्केट में यह बेहद महंगा है।

4. जे-20 (J-20 Mighty Dragon) – कीमत: 110 मिलियन डॉलर

चीन का पहला स्टील्थ फाइटर जेट, जो सीधे F-22 को चुनौती देता है। Mach 2+ की रफ्तार और 3000 नॉटिकल मील की रेंज के साथ J-20 को खासतौर पर साउथ चाइना सी जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में तैनात किया गया है। चीन ने इसकी तकनीक को पूरी तरह गोपनीय रखा है, जिससे यह और भी रहस्यमयी बन जाता है।

5. एफ-35 लाइटनिंग II (F-35 Lightning II) – कीमत: 109 मिलियन डॉलर

अमेरिका द्वारा विकसित यह अब तक का सबसे महंगा डिफेंस प्रोग्राम माना जाता है। तीन वेरिएंट्स (A, B, C) में आने वाला यह स्टील्थ फाइटर जेट न केवल अमेरिका बल्कि कई नाटो देशों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। अब तक 1,100 से अधिक F-35 विमान बनाए जा चुके हैं।

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