पटना। बिहार में जल संचयन, कृषि सिंचाई और ग्रामीण रोजगार सृजन की दिशा में सरकार की एक अहम पहल — अमृत सरोवर परियोजना — अब राज्य के ग्रामीण इलाकों में नया परिवर्तन ला रही है। पंचायती राज विभाग की इस योजना के तहत अब तक राज्य में 2,613 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है। ये सरोवर न केवल भूजल स्तर बढ़ाने में सहायक हैं, बल्कि मत्स्यपालन और स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
जीविका दीदियों को ₹5000 की वार्षिक सहायता
सरकार इन जल निकायों का बहुउद्देश्यीय उपयोग सुनिश्चित कर रही है। खास तौर पर महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ाने के लिए जीविका समूह से जुड़ी दीदियों को मछली पालन के लिए प्रति वर्ष ₹5000 की अनुदान राशि दी जा रही है। इससे उन्हें स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर मिल रहे हैं और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाने का मौका भी मिल रहा है।
पंचायती राज विभाग की निगरानी में हो रहा विकास
इन सरोवरों का निर्माण 15वें वित्त आयोग के टाइड फंड के तहत प्राप्त राशि के 30 प्रतिशत हिस्से से किया गया है। ग्राम पंचायतों में बनाए गए इन सरोवरों की देखरेख पंचायती राज प्रतिनिधियों और त्रिस्तरीय संस्थानों द्वारा की जा रही है। सरकार ने इनका न्यूनतम क्षेत्रफल दो एकड़ 30 डिसमिल निर्धारित किया है, ताकि अधिक जल संचयन सुनिश्चित किया जा सके।
पर्यावरण सुधार और स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा
अमृत सरोवर न केवल जल संरक्षण का माध्यम बने हैं, बल्कि ये पर्यावरणीय संतुलन और हरियाली को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वर्षा जल के संग्रह से भूजल स्तर में सुधार हो रहा है और आसपास की असिंचित भूमि की सिंचाई भी संभव हो रही है। इसके साथ ही ये सरोवर अब स्थानीय पर्यटन स्थलों के रूप में भी विकसित किए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को बल मिल रहा है।
मत्स्यपालन और मखाना उत्पादन को भी बढ़ावा
इन जल निकायों का उपयोग मत्स्यपालन और मखाना उत्पादन के लिए भी किया जा रहा है, जिससे किसानों की आमदनी में वृद्धि हो रही है। सरकार का उद्देश्य है कि आने वाले वर्षों में अधिक से अधिक सरोवरों को विकसित कर गांवों को जल संकट से मुक्त किया जाए और स्थायी विकास के रास्ते पर ले जाया जाए।
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