खून, दवा और सैंपल सिर्फ 7 मिनट में
सबसे बड़ी खासियत इस इमारत की है – न्यूमेटिक ट्यूब ट्रांसफर सिस्टम, जो अमेरिका की अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित है। इस प्रणाली के जरिए मरीजों को जांच के लिए इधर-उधर नहीं भागना पड़ेगा। दवा, खून और रिपोर्ट तीन से चार मिनट में संबंधित वार्ड तक पहुंचाई जाएगी। मरीज की जानकारी मॉनिटर में टाइप करते ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यहां अगर मरीज खुद आकर भर्ती होता है तो उसका इलाज बिना परिजनों की सहायता के भी संभव होगा।
अमेरिका से मंगवाए गए हाई-टेक बेड
अस्पताल में लगे बेड अमेरिका से मंगवाए गए हैं, जो मल्टीपारा मॉनिटर से लैस हैं। ये मॉनिटर मरीज की ईसीजी, हार्ट रेट और ऑक्सीजन लेवल को 24 घंटे ऑनलाइन रिकॉर्ड करते रहेंगे। इसके साथ ही बेड के पास एक बटन भी होगा, जिसे दबाते ही नर्स के पास तुरंत सूचना पहुंच जाएगी। मरीज की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए यह एक बेहद उपयोगी व्यवस्था मानी जा रही है।
रंगों के आधार पर तय होगी मरीज की गंभीरता
नई इमरजेंसी व्यवस्था में मरीजों की गंभीरता के अनुसार उन्हें ब्लैक, रेड, येलो और ग्रीन जोन में रखा जाएगा। ब्लैक जोन में अति गंभीर मरीज होंगे। रेड जोन में सीरियस लेकिन स्थिर मरीज रखे जाएंगे। येलो जोन में वे मरीज होंगे जो खतरे से बाहर हैं। ग्रीन जोन में हल्की चोट वाले मरीजों का इलाज किया जाएगा।
यहां 5 मिनट में मिलेगी अल्ट्रासाउंड की पूरी रिपोर्ट
नए इमरजेंसी वार्ड में अत्याधुनिक अल्ट्रासाउंड मशीनें लगाई गई हैं, जिनसे रिपोर्ट केवल 5-6 मिनट में मिल जाएगी। इससे समय की बचत होगी और इलाज में तेजी आएगी।
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